एक-दो नहीं कई साल संसद सत्र के दौरान सांसद नहीं पूछे सके प्रश्न

आखिर हंगामा क्यों है बरपा? जी हां, पिछले कुछ साल से सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्ष के बीच छोटी-छोटी बातों पर तू-तू, मैं-मै चल रही है। हालिया मामला संसद में प्रश्नकाल न कराने का है। सत्ता पक्ष का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति ने कोरोना संकट को देखते हुए यह फैसला लिया। सरकार ने विपक्ष से बात की तो तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर सभी ने सहमति दी, लेकिन अब राजनीतिक कारणों से मुकर रहे हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब प्रश्नकाल को कार्यवाही से हटाया गया है। अभी कोरोना के चलते राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश की विधानसभा में भी प्रश्नकाल नहीं हुए।

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 1962, 1975-76, 1991, 2004 और 2009 में भी संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं होने का इतिहास है। पिछले छह साल में प्रश्नकाल का औसत 60 प्रतिशत समय इस्तेमाल ही न होने का रिकॉर्ड है। वैसे सरकार ने अब लिखित सवालों की अनुमति दे दी है।