BJP की दलितों को लुभाने की कोशिश standup india से दलितों को एक करोड़ तक का लोन

केंद्रीय कानून राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने जयपुर में कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रभावी नीतियों का दलित वोट बैंक पर गहरा असर पड़ा है। ये बात हम नहीं ‘दलित स्टडी सेंटर’ कहता है। अपनी रिपोर्ट में सेंटर ने कहा है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 36 प्रतिशत दलित वोट प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व के चलते भाजपा को मिले। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यह प्रतिशत 39 प्रतिशत हो गया। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि दलित समाज के वोटरों का भाजपा के समानता के भाव की नीति का गहरा असर हुआ है।
बीजेपी ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेघवाल ने कहा कि भारत रत्न भीमराव अंबेडकर ने संविधान लागू होने के बाद कहा था कि हम एक विरोधाभासी क्षेत्र में कदम रख रहे हैं। जहां लोकतांत्रिक समानता वोट के आधार पर तो होगी और ‘एक वोट एक मूल्य होगा’, लेकिन सामाजिक क्षेत्र में असमानता होगी। इसके बाद सवाल यह उठा कि इस सामाजिक असमानता को दूर कौन करेगा? वर्ष 2014 में सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैंकेया नायडू की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और इस दिशा में काम करना शुरू किया। इसके बाद सुदूर गांवो में बिजली की असमानता को दूर किया, पीएम आवास योजना में गरीबों को घर दिया, स्वच्छता अभियान के तहत 11.5 करोड शौचालय बनवाए। इसके बाद अनुसूचित जाति वर्ग के लोग कहने लगे कि मोदी सरकार ही बेहतर है। इसलिए मैं दावे से कह सकता हूं कि आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में दलित समाज भाजपा के साथ रहेगा।
मेघवाल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने मुद्रा लोन के तहत वंचित लोगों को सस्ता लोन दिया, स्टैंडअप इंडिया के तहत देशभर में दलितों को 10 लाख से एक करोड़ तक का लोन मुहैया कराया गया। वेंचर कैपिटल और आईएनसी के तहत भी कंपनी बनाकर अपना उद्योग लगाने की छूट दी। सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो मोदी सरकार ने 13.5 करोड़ एैसे लोग जो गरीबी रेखा से नीचे थे। उन्ंहे गरीबी रेखा से ऊपर लेकर आए। देश के नागरिकों की औसत आय बढ़ी और देश में गरीबों को चिन्हित कर आकांक्षी योजनाओं को लाभ दिलाया।