social media पर वायरल हुआ jaipur में ऑडी की टक्कर से मरे मादाराम का letter जानें फिर क्या हुआ

स्वर्गीय मादाराम। फाइल फोटो

जयपुर (jaipur) में पिछले साल छह नवंबर की सुबह सोढाला एलिवेटेड रोड पर तेज रफ्तार ऑडी कार की टक्कर मारी थी। मादाराम पुलिस कांस्टेबिल भर्ती की परीक्षा देने सेंटर की ओर पैदल जा रहा था। टक्कर से वो एलिवेटेड रोड से काफी दूर एक घर की छत पर गिरा था और मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। ऑडी कार को शहर के प्रसिद्ध सोनी हॉस्पिटल के मालिक की बहू नेहा सोनी चला रही थी। नेहा सोनी की थाने से ही जमानत हो गई थी। दुर्घटना के बाद सोनी परिवार ने मादाराम के परिवार को 10 लाख की आर्थिक सहायता का वादा किया था, जो पूरा नहीं हो रहा था। इस बीच स्वर्गीय मादाराम की ओर सोशल मीडिया पर एक पत्र चला, जिसके बाद मादाराम के पिता को सोनी परिवार ने 10 लाख रुपए का चेक सौंप दिया। आप भी पढ़ें स्वर्गीय मादाराम का मार्मिक पत्र…

आदरणीय नेहा सोनी जी,

सादर प्रणाम!

मैं देख पा रहा हूं कि ईश्वर की कृपा से आप स्वस्थ तथा किसी प्रकार की भय-चिंता से मुक्त अपने परिजनों सहित हंसी-खुशी जीवन यापन कर रहे हैं। ईश्वर आपको व आपके परिवार को हमेशा प्रसन्न रखे। परंतु मेरे वृद्ध माता-पिता व भाई आज भी गम में डूबे हुए हैं। आपको शायद वह घटना याद भी नहीं रही होगी इसलिए इस पत्र के साथ मैं आपकी व आपकी मित्र प्रज्ञा अग्रवाल की फोटो साझा कर रहा हूं ताकि आपको 6 नवंबर 2020 की वह दर्दनाक घटना याद आ जाए। मैं उस दिन कॉन्स्टेबल बनने का सपना लिए जयपुर शहर में आया था व हवा में बनी उस अद्भुत एलिवेटेड रोड को देखने के लिए बस स्टैंड आने से पहले ही उतर गया था। परंतु थोड़ी ही देर में हवाई जहाज की भांति तेज गति से आती आपकी ऑडी कार ने मुझे इतनी जोर की टक्कर मारी कि मैं हवा में कई फीट ऊपर उछल कर पुल के पास एक घर की छत पर गिर पड़ा, छत पर गिरने से पहले मैं लोहे के एक साईन बोर्ड से भी टकराया था जिससे मेरा दाहिना हाथ वहीं पर कट गया था और तड़पते हुए आंखों में सपने लिए कुछ सेकेंड में ही मैंने मौके पर अपना दम तोड़ दिया था। वैसे एक दिन आप सभी भी मेरे पास आओगे ही, परंतु मैं थोड़ा जल्दी चला गया इसका दुख था, मैं अपने भेड़-बकरी चराने वाले वृद्ध माता-पिता के सपनों को पूरा किए बिना चला गया, इसका दुख था। खैर…

मेरे साथ हुई यह घटना उस समय जंगल में आग की तरह पूरे राजस्थान (rajasthan) में फैली। जयपुर में मेरी लाश को लेकर धरना भी हुआ व कई युवा मुझे न्याय दिलाने इकट्टे हुए आपके ससुर जी डॉ. विमल सोनी जी से मेरे परिवार को आर्थिक सहयोग मुआवज़े के रूप में देने की अपील की गई थी जिन्होंने काफी भाव-ताव करके 10 लाख रुपए की राशि देने का वचन दिया था। परंतु अत्यंत खेद का विषय है कि वह सहायता राशि तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक मेरे परिवार को नहीं पहुंची। बहुत बार संपर्क करने के बाद जयपुर बुलाया जाता है व मेरे बीमार वृद्ध पिता को ढाई लाख रुपए मुआवज़ा की बात कही जाती है।

नेहा जी, मैं मानता हूं कि एक्सीडेंट के केस में कभी किसी को कोई सजा नहीं होती है और थर्ड पार्टी बीमा की कुछ राशि कोर्ट हमें दिलवायेगा परंतु मेरा निवेदन यह है कि आपके ससुर इतने बड़े हॉस्पिटल के मालिक हैं, आप ऑडी कार की मालकिन हैं, आपके कारण में दुनिया से चला गया, आपके लिए 10 लाख रुपए की सहायता राशि कोई बड़ी राशि नहीं है। मेरे गरीब परिवार को इस राशि से थोड़ी मदद मिल जाएगी। आप मेरी मां से कभी जाकर मिलना, आप भी तो दो बच्चों की मां हैं, एक मां का दर्द क्या होता है आप जरूर महसूस कर पा रही होगी। उसकी बूढ़ी आंखों के आंसु अभी तक सूखे नहीं हैं। मेरे मित्र भी मुझे सहायता देने के लिए तैयार हैं परंतु मैं चाहता हूं कि आपकी कार से मुझे टक्कर लगी है, मानवता के नाते आप मेरे परिवार की मदद करें, हमें सबकी मदद की ज़रूरत नहीं है, हम गरीब हैं परंतु खुद्दार हैं। परंतु आप वादा करके मत मुकरिए। एक गरीब की हाय मत लीजिए। आज दोपहर 2 बजे मेरे पिताजी व भाई आपके हॉस्पिटल आएंगे, अपने ससुर जी को कहना कि उन्हें 10 लाख रुपए का सहयोग देकर सांत्वना देकर विदा करना, आज वापस मोल भाव मत करना। आपको मेरे गरीब वृद्ध माता-पिता व मेरे पूरे परिवार की दुआएं लगेंगी व मेरी स्वर्गवासी आत्मा भी आशीष देगी।

पत्र में कुछ ऐसा लिखा हो जिससे आपको कष्ट हुआ हो तो उसके लिए क्षमा करना बहन।

स्व. मादाराम देवासी

(उपरोक्त पत्र में किसी प्रकार का संपादन नहीं किया गया है, जैसे पत्र सोशल मीडिया पर चला, वैसा ही यहां दिया गया है)