खुद के काम की planning कर रहे हैं तो pm modi की बताईं success stories आपकी मददगार बनेंगी

मन की बात (mann ki baat) कार्यक्रम में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) ने देशवासियों को Vocal for Local का संकल्प याद दिलाया। उन्होंने कहा, बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है। आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे local products की fan हो रही है। प्रधानमंत्री ने सफलता की कहानियां (success stories) भी सुनाईं।

मेक्सिको का खादी ओहाका

मेक्सिको में एक जगह है ओहाका (Oaxaca)। यहां ग्रामीण खादी बुनने का काम करते है, जो खादी ओहाका के नाम से प्रसिद्ध है। ओहाका में खादी कैसे पहुंचीं, ये भी कम interesting नहीं है। मेक्सिको के युवा Mark Brown ने एक बार महात्मा गांधी पर फिल्म देखी। Brown फिल्म देखकर बापू से इतना प्रभावित हुए कि वो भारत में बापू के आश्रम आए। बापू के विषय में गहराई से जाना-समझा। Brown को एहसास हुआ कि खादी केवल कपड़ा नहीं है, बल्कि ये पूरी जीवन पद्धति है। उन्होंने मेक्सिको के ओहाका में ग्रामीणों को खादी का काम सिखाया। इस प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर लिखा है The Symbol of Dharma in Motion. वेबसाइट पर Brown का दिलचस्प interview भी मिलेगा। वे कहते हैं, ये राम-राज्य से जुड़ी बातें हैं। जब आप लोगों की जरूरतों को पूरा करते है तो फिर लोग भी आपसे जुड़ने चले आते हैं।

खादी मास्क बना रहीं महिलाएं

UP के बाराबंकी सुमन देवी ने self help group की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे अन्य महिलाएं भी जुड़ती चली गईं। अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं। हमारे local products की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है।

अमेरिका में युवा सीख रहे हमारा मलखम्ब

अमेरिका (America) में चिन्मय पाटणकर और प्रज्ञा पाटणकर ने जब घर से मलखम्ब (mallakhamb) सिखाना शुरू किया था तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। अमेरिका में कई स्थानों पर मलखम्ब Training Centers चल रहे हैं। जर्मनी हो, पोलैंड हो, मलेशिया हो, ऐसे करीब 20 अन्य देशो में भी मलखम्ब खूब popular हो रहा है। इसकी World Championship शुरू की गई है, जिसमें कई देशों के प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। नई पीढ़ी के युवा साथी मलखम्ब से उतना परिचित ना हों। आप इसे इंटरनेट पर जरूर search करिए और देखिए।

Salon में खोला पुस्तकालय

तुतुकुड़ी (तमिलनाडु) के पोन मरियप्पन hair cutting  के पेशे से जुड़े हैं। तुतुकुड़ी को pearl city (मोतियों के शहर) के रूप में जाना जाता है। पोन मरियप्पन salon चलाते हैं। उन्होंने अनोखा और प्रेरणादायी काम किया है। अपने salon के एक हिस्से को पुस्तकालय बना दिया है। यदि व्यक्ति salon में अपनी बारी का इंतज़ार करने के दौरान वहां कुछ पढ़ता है। जो पढ़ा है, उसके बारे में थोड़ा लिखता है तो पोन मरियप्पन उस ग्राहक को discount देते हैं। प्रधानमंत्री ने पोन मरियप्पन से बातचीत भी की।

शिक्षिका की scooty mobile library

MP के सिंगरौली की शिक्षिका उषा दुबे ने तो scooty को ही mobile library में बदल दिया। वे प्रतिदिन अपने चलते-फिरते पुस्तकालय के साथ किसी न किसी गांव में पहुंच जाती हैं और वहां बच्चों को पढ़ाती हैं। बच्चे उन्हें प्यार से किताबों वाली दीदी कह कर बुलाते हैं।

अरुणाचल में बिना मेंबरशिप की लाइब्रेरी

इस साल अगस्त में अरुणाचल प्रदेश के निरजुली के Rayo Village में Self Help Library बनाई गई है। यहां की मीना गुरुंग और दिवांग होसाई को जब पता चला कि कस्बे में library नहीं है तो उन्होंने इसकी funding के लिए हाथ बढ़ाया। इस library के लिए कोई membership नहीं है। कोई भी व्यक्ति दो हफ्ते के लिए किताब ले जा सकता है। पढ़ने के बाद उसे वापस करना होता है। ये library सातों दिन, 24 घंटे खुली रहती है।

भावनगर के दो ट्रस्टों से मिल रहा ज्ञान

गुजरात के भावनगर की संस्था विकास वर्तुल ट्रस्ट प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार है। यह ट्रस्ट 1975 से काम कर रहा है और ये 5,000 पुस्तकों के साथ 140 से अधिक magazine उपलब्ध कराता है। ऐसी एक संस्था ‘पुस्तक परब’ है। ये innovative project है, जो साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही दूसरी किताबें निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं।

पढ़ाई में पुलवामा के Pencil Village का अहम रोल

कश्मीर का पुलवामा पूरे देश को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कश्मीर घाटी देश की 90% Pencil Slate लकड़ी की पट्टी की मांग को पूरा करती है। उसमें बहुत बड़ी हिस्सेदारी पुलवामा की है। पुलवामा में उक्खू को Pencil Village के नाम से जाना जाता है। यहां Pencil Slate निर्माण की कई इकाइयां हैं, जो रोजगार उपलब्ध करा रही हैं, और इनमें काफ़ी संख्या में महिलाएं काम करती हैं। यहां के मंजूर अहमद अलाई कभी लकड़ी काटने वाले सामान्य मजदूर थे, लेकिन उन्होंने Famous Pencil Manufacturing Units को Poplar Wooden Box की आपूर्ति शुरू की। आज मंजूर भाई के Business का Turnover करोड़ों में है। वे दो सौ लोगों को आजीविका दे रहे हैं।

महिलाओं ने app से की फल-सब्जियों की डिलीवरी

Lockdown के दौरान Technology-Based service delivery के कई प्रयोग हमारे देश में हुए हैं। अब ऐसा नहीं रहा कि बहुत बड़ी technology और logistics companies ही यह कर सकती हैं। झारखंड में ये काम महिलाओं के self help group ने करके दिखाया है। इन महिलाओं ने किसानों के खेतों से सब्जियां और फल लिए और सीधे, घरों तक पहुंचाए। इन महिलाओं ने Aajeevika farm fresh नाम से app बनवाया। Lockdown में इन्होंने 50 लाख रुपए से भी ज्यादा के फल-सब्जियां लोगों तक पहुंचाई हैं।

बड़वानी के पाटीदार ने किसानों को digital से जोड़ा

MP के बड़वानी में अतुल पाटीदार अपने क्षेत्र के 4 हजार किसानों को digital रूप से जोड़ चुके हैं। ये किसान अतुल पाटीदार के E-platform farm card के जरिए खेती के सामान, जैसे खाद, बीज, pesticide, fungicide आदि की home delivery पा रहे हैं। किसानों को घर तक, उनकी जरुरत की चीज़ें मिल रही हैं। इस digital platform पर आधुनिक कृषि उपकरण भी किराए पर मिल जाते हैं।