Good news हमारे दो घुमंतू Amur Falcon एक साल में 33,000 km की परिक्रमा लगा लौटे घर

वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार के साथ इरंग अमूर फॉल्कन।

क्या आप एक साल में 33,000 या 29,000 किलोमीटर चल सकते हैं? शायद नहीं, लेकिन मणिपुर (Manipur) से उड़े 2 अमूर फॉल्कन (Amur Falcon) ने यह करिश्मा कर दिखाया है। पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह में 5 अमूर फॉल्कन मणिपुर के तामेंगलोंग (Tamenglong) स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) से सेटेलाइट रेडियो ट्रांसमीटर (satellite radio transmitter) लगाकर उड़ाए गए थे। वैज्ञानिक इनके घुमंतू रास्तों (migratory routes) को देखना चाहते हैं।

अमूर फॉल्कन कबूतर के आकार के बाज होते हैं। पिछले साल छोड़े 5 अमूर फॉल्कन में 3 को तामेंगलोंग जिले के गांव चियूलोन (Chiulon), पुचिंग और फालोंग का नाम, जबकि 2 को यहां बहने वाली नदियों इरंग (Irang) और बराक का नाम दिया गया था। पुचिंग, बराक और फालोंग ने तो बीच में सिग्नल भेजना बंद कर दिया था, जबकि इरंग और चियूलोन सकुशल इंस्टीट्यूट लौट आए हैं।

WII के वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि 2 अमूर फॉल्कन चियूलोन और इरंग ने चीन, कोरिया, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड से होते हुए दक्षिण अफ्रीका का चक्कर लगाया है। इरंग ने जहां 29,000 किलोमीटर की दूरी तय की, वहीं चियूलोन 33,000 किलोमीटर उड़ा।

जब बैन की एयरगन

नवंबर 2018 में सेटेलाइट रेडियो ट्रांसमीटर लगे मणिपुर नाम के अमूर फॉल्कन को खेबूचिंग क्षेत्र, जो तामेंगलोंग और नोने जिले के बीच में है, में मार दिया गया, तब सरकार ने दोनों जिलों में एयरगन पर बैन तक लगा दिया था। बकायदा इन घुमंतू बाजों को बचाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया गया था।