नन्ही गौरी से गौरान्वित हुआ jaipur कैलीग्राफी की कलाओं को लेकर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया नाम

जयपुर (jaipur) की नन्ही गौरी माहेश्वरी (gauri maheshwari) ने यह सिद्ध करके दिखाया है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती और सीखने-सिखाने की कोई उम्र नहीं होती। 12 वर्षीय गौरी को कैलीग्राफी (calligraphy) में निपुणता हासिल करने पर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड (asia book of record) हासिल हुआ है। सेंट जेवियर स्कूल की कक्षा सात की छात्रा गौरी को यह सम्मान 100 से अधिक कैलीग्राफी पद्धति से लिखने पर मिला है। गौरी एशिया में सबसे कम उम्र में कैलीग्राफी को सिखाने का गौरव प्राप्त कर चुकी है। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने गौरी को यंगेस्ट ऑनलाइन कैलीग्राफी कोच के ग्रैंडमास्टर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया।

फिलहाल गौरी 100 लोगों को (जिसमें 7 वर्ष से 60 वर्ष तक कि उम्र के लोग शामिल थे) को ऑनलाइन कैलीग्राफी कोचिंग दे रही हैं, जबकि अब तक गौरी 700 से अधिक लोगों को कैलीग्राफी सीखा चुकी है। गौरी को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। गौरी पढ़ने में तो अव्वल है ही, साथ में एक अच्छी वक्ता और कलाकार भी है। पढ़ाईं के साथ-साथ गौरी ने बहुत-सी कलाएं सीखीं हैं, जिसमें से कैलीग्राफी उसकी पसंदीदा कला है।

लॉकडाउन के दौरान 12 मई को गौरी का जन्मदिन था। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) ने देश को अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत की बात कहीं। यह बात गौरी के मन में घर कर गई और उसकी प्रेरणा का सबब बन गई। साथ ही, गौरी ने अपने दादाजी ज्ञान देव मूँदड़ा से भी प्रेरित होकर समाजसेवा भाव से प्राथमिक कक्षाओं के गरीब बच्चों को गणित और अंग्रेज़ी निःशुल्क पढ़ाना शुरू किया है। गौरी ने कैलीग्राफी क्लास से प्राप्त अपनी आमदनी को आर्मी वेलफेयर फंड में दिया है।

गौरी कहती है कि मुझे बचपन से ही प्रत्येक कार्य पूर्ण लगन, उत्साह और तन्मयता से करने की आदत है। छोटी उम्र में ही मैंने अपने स्कूल में कैलीग्राफी सीख ली थी। गौरी इतनी शालीनता, धैर्य और मनमोहक तरीक़े से कैलीग्राफी सिखाने लगी कि देखते ही देखते क्या बच्चे, क्या बड़े, उससे कैलीग्राफी सीखने लगे। गौरी से ऑनलाइन कैलीग्राफी सीखने वाले लोग सिर्फ़ भारत नहीं, बल्कि विदेशों के लोग भी शामिल हैं।

गौरी की मां मीनाक्षी माहेश्वरी बताती हैं कि गौरी शुरू से ही टेलेंटेड बच्ची रही है। जब हमने इसका एडमिशन सेंट जेवियर स्कूल की फर्स्ट क्लास में कराया तो कैलीग्राफी सिखाने वाले सर ने यह कहकर मनाकर दिया था कि कैलीग्राफी 6-7 क्लास के बच्चों के लिए है। इतनी छोटी बच्ची कैसे कर पाएगी, पर गौरी ने हार नहीं मानी और कैलीग्राफी सीखी।