10 भाषाओं में 51 देशों के 30 हजार शोधार्थियों ने शुरू किया श्रीमद्भगवत गीता का अध्ययन

आर्ट ऑफ लिविंग (art of living) के फाउंडर श्री श्री रविशंकर (shri shri ravishankar) के सान्धिय में 51 देशों के 30,000 से भी अधिक गीता प्रेमियों के लिए 10 भाषाओं में विश्व की सबसे बड़ी गीता की नवीन कक्षा के 10वें बैच का शुभारंभ हुआ। कोरोना के कारण देश-विदेश में 72,000 शोधार्थी घरों पर रहकर तकनीकी के माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) का अध्ययन कर रहे हैं।

आचार्य पंडित विमल पारीक, मकराना (rajasthan) ने बताया कि गीता परिवार के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी द्वारा ऑनलाइन (online) संकल्प दिलाया जा रहा है। इंस्टाग्राम, जूम ऐप, यू-टयूब, फेसबुक, वॉट्सएप पर श्रीमद्भागवत गीता श्रोताओं की सुविधा के लिए अपलोड की जा रही है। लिंक के माध्यम से श्रोता ऑनलाइन श्रीमद्भगवत गीता और भागवत कथा का आनंद उठा रहे हैं।

स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि गीता मात्र एक शास्त्र नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण (god Krishna) की साक्षात वाणी स्वरूप है। श्रीमद्भगवत गीता जीवन जीने की उत्कर्ष कला और जीवन में अनुकरणीय एक अति महत्वपूर्ण शास्त्र है। जो मनुष्य को उत्पन्न विषम से विषम परिस्थिति में कर्म पथ पर चलने को प्रेरित करती है, जिससे मनुष्य अपने जीवन में डगमगाए नहीं और अपने कर्म पथ पर चलते हुए अपने संकल्प व लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इसका पालन करके कोई भी मनुष्य जीवन में पूर्ण सुख और जीवन के बाद मोक्ष सरलता से प्राप्त कर सकें, इसके लिए भाग्यवादी नहीं कर्मवादी बनें। श्रेष्ठता का अभिमान क्षमाभाव। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सनातनी अपने घर परिवार में गीता पढ़ें। उसे जीवन आचरण में लाएं और अपने जीवन में सार्थकता लाएं।

श्रीरामजन्मभूमि मंदिर न्यास, अयोध्या के कोषाध्यक्ष डॉ. संजय मालपाणी, लखनऊ से डॉ. आशु गोयल, सूरत से बिमला देवी साबू, मुंबई से महेंद्र काबरा, कोलकाता से संदीप सोमाणी, कोटा से गोविंद माहेश्वरी, उत्तरांचल से हरिनारायण व्यास, यसिंगपुर से मयंक पाराशर, पुष्कर से कपिल पांडे कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े।