आखिरकार राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (govind singh dotasra) का संगठन और सत्ता के बीच चल रही खींचतान का दर्द उभर ही आया। यही दर्द किसी समय पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट (sachin pilot) ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था, जिससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) से उनकी तनातनी भी हो गई।
प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति कुमार धारीवाल (shanti kumar dhariwal) के बंगले में जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी चल रही थी, उसी दरम्यान शिक्षा मंत्री और पीसीसी चीफ डोटासरा भी पहुंचे। अंदर कमरे में सभी मंत्रीगण का चाय-नाश्ता चल रहा था। तभी मीडिया को अंदर आकर एक शॉट लेने के लिए कहा गया। सभी मीडियाकर्मी एक-एक करके मंत्रियों की फोटो-वीडियो लेने जा रहा थे।
ऐसे में एक वरिष्ठ वीडियो जर्नलिस्ट के कैमरे में डोटासरा का दर्द कैद हो गया, जिसमें डोटासरा यह कहते नज़र आ रहे हैं कि यार, आप लोग पीसीसी की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हो। वहां से मेरे पास फोन आते हैं कि साहब हमारी तो कोई सुनवाई नहीं हो रही है। थोड़ा संगठन की भी सुन लिया करो।
वीडियो की भनक डोटासरा को लग गई। कुछ ही देर में मंत्री धारीवाल के निजी सचिव बाहर लॉन में बैठे पत्रकारों के पास आए और बोले, अभी सबसे आखिर में कौन आया। वो वीडियो बनाने वाले मीडियाकर्मी को अंदर ले गए। डोटासरा ने उन्हें जबरदस्त फटकार लगाई और वीडियो डिलीट करने को कहा। आखिर में वीडियो डिलेट कराया गया।
बाहर जब मीडियाकर्मियों को यह बात पता चली तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोटासरा से सवाल पूछ लिया गया, जिस पर डोटासरा स्तब्ध से रह गए और सवाल को अनसुना कर गए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में गोविंद डोटासरा ने उसी मीडियाकर्मी को फिर से थोड़ा गुस्सा दिखाया और यह कहते हुए निकल गए कि तुम्हारा विशेष ध्यान रखूंगा। अब ऐसे में मीडिया गलियारों में चर्चा फिर से उठ रही है कि क्या वास्तव में सचिन पायलट का दर्द सही था? क्या प्रदेश की कांग्रेस सरकार में गहलोत ही एकमात्र मुखिया बने बैठे हैं?
(कानोंदेखी)