Facebook पर इनदिनों सरिता कश्यप (sarita kashyap) की कहानी खूब शेयर हो रही है। पश्चिम विहार, दिल्ली (delhi) की रहने वाली सरिता कश्यप, सिंगल मदर हैं। उनकी एक बेटी है, जो कॉलेज में पढ़ती है। सरिता पीरागढ़ी, दिल्ली में सीएनजी पंप के पास स्कूटी पर राजमा-चावल (rajma-chawal) का स्टाल लगाती हैं। रेट है, छोटा प्लेट 40 रुपए, फुल प्लेट 60 रुपए।
सरिता के स्टाल की खासियत यह है कि अगर आपके पास पैसे नहीं भी हैं तो भी आपको वो भूखा नहीं जाने देंगी। कहेंगी, खाना खा लो। पैसे जब हो, तब दे जाना, या मत देना। चाहे आप किसी भी जाती धर्म या संप्रदाय से जुड़े हुए हों।
Raj bulletin ने सरिता कश्यप के विषय में थोड़ा खोजबीन की तो 7 महीना पुराना एक यू-ट्यूब वीडियो मिल गया। वीडिया से सरिता की वास्तविक कहानी पता चली। सरिता वीडियो में बता रही हैं कि 24 साल पहले उनका विवाह हुआ था। शादी के 8 साल बाद वो पति से अलग हो गईं। जीवन के अनुभवों से सीखते हुए आगे बढ़ीं हैं। जैसे सोना कुट कर खरा बनता है, वैसे ही मैं भी कुट कर खरी बनी हुई।
अपने राजमा-चावल के स्टॉल पर वो कहती हैं कि दिसंबर 2019 में उन्होंने इस काम को शुरू किया। मुझे खाना बनाने का शौक है। बेटी को राजमा-चावल पसंद हैं और बचपन से उसे इन्हें खिला रही हूं। मैंने 17 साल ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में गाड़ियां बेची हैं। लाइफ में जो काम किया, बहुत बढ़िया तरह से किया।
सरिता कहती हैं कि मेरी गरीब बच्चों को खाना खिलाने की इच्छा थी। रास्ता ढूंढ रही थी। तीन महीने तक यू-ट्यूब वीडियो देखे। आइडिया लिया। मेरे पास यही स्कूटी है। आय का कोई दूसरा जरिया भी नहीं है। एक दिन पीरागढ़ी स्कूटी पर राजमा-चावल लेकर निकल गई। बस काम शुरू हो गया।
आज वे अपने पास के गरीब बच्चों को मुफ्त में खिलाती हैं। उनके स्कूल के कॉपी, किताब, ड्रेस, जूते यानी कुछ भी कम हो तो खरीद कर देती हैं। खाली समय में बच्चों को पढ़ाती भी हैं।
Facebook पर एक वाजिब सवाल भी उठाया जा रहा है। लोग सरिता की कहानी शेयर करते हुए पूछ रहे हैं कि क्या इस महिला को किसी न्यूज़ चैनल ने हाईलाइट किया, नहीं, क्योंकि इसकी खबर में कोई ग्लैमर नहीं है। हां, अगर ये महिला कोई हीरोइन होती, तब इसको अब तक हर कोई जान गया होता। इस महिला को इस नेक काम के लिए दिल से धन्यवाद।