ब्रज भाषा में जो आत्मीयता है वह अपने आप में लाजवाब और अनूठी

जयपुर. राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि ब्रज भाषा में जो आत्मीयता है, वह अपने आप में लाजवाब और अनूठी है। मंगलवार को झालाना संस्धानिक क्षेत्र स्थित अकादमी संकुल के सभागार में राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी की ओर से आयोजित रचनाकार पुरस्कार समारोह में व्यास ने कहा कि ब्रज की माटी में जो गुण है, वह उसकी बोली में भी झलकती है। समारोह में अकादमी की ओर से पांच श्रेणियों में रचनात्मक कार्य करने वाले 15 रचनाकारों को सम्मानित किया गया।


समारोह में शिक्षा,कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्त्व मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला का ब्रजभाषा लिखित अभिभाषण भी पढ़ कर सुनाया गया। इसमें बृज भाषा के प्रसिद्ध कवि रसखान की कुछ पंक्तियां का जिक्र भी किया गया…
प्रेम हरि को रूप है, त्यों हरि प्रेम स्वरूप।
एक होई द्वे यों लसें,जो सूरज अरु धूप।।
समारोह में राज्य मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष व राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त रमेश बोराणा ने कहा कि ब्रज क्षेत्र से जो अटूट लगाव रखते हैं, उसी का नतीजा है कि वे लोगों तक इस भाषा में अपनी बात को बहुत आसानी से पहुंचा सके हैं। उन्होने कहा कि रचनाकरों एवं साहित्यकारों की पुरस्कार राशि बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए पूरी टीम को आयोजन के लिए बधाई दी। समारोह में उपस्थित विशेष पाहुने गजलकार लोकेश कुमार साहिल ने कहा कि अगर हिन्दी भाषा में से ब्रज, अवधि, कन्नौजी भाषाऐं निकाल दी जाएं तो हिन्दी में कुछ नहीं बचेगा।
अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका ब्रजशतदल, बीकानेर निवासी प्रमिला गंगल के बाल कविताओं पर आधारित ब्रजभाषा बालकाव्य संग्रह “ब्रजसखा” तथा भरतपुर के शिक्षक नरेंद्र निर्मल के मोनोग्राफ का विमोचन भी किया गया। ब्रजभाषा साहित्य की पांच विधाओं में प्रथम विजेता को ग्यारह हजार, द्वितीय को इकहत्तर सौ और तृतीय को इक्कतीस सौ रुपए की राशि सम्मान पत्र साहित दी गई।


प्रतियोगिता का शुभारंभ अकादमी के दिवंगत अध्यक्षों और सचिवों के नाम पर प्रारम्भ किया गया है। इसमें अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.विष्णु चंद पाठक स्मृति आलेख पुरस्कार, श्री मोहनलाल मधुकर स्मृति संस्मरण पुरस्कार, श्री गोपाल प्रसाद मुद्गल स्मृति समस्यापूर्ति पुरस्कार, डॉ. सुरेंद्र उपाध्याय स्मृति लघु कथा एवं कहानी पुरस्कार, संस्थापक सचिव डॉ.राम प्रकाश कुलश्रेष्ठ स्मृति लोक धुन पर आधारित लोकगीत पुरस्कार एवं श्री बृजेश कुलश्रेष्ठ स्मृति लघु नाटक पुरस्कार हैं।
समारोह में जिन 15 रचनाकारों को सम्मानित किया गया था उनकी प्रविष्टियां जून में आयोजित प्रतियोगिता में मंगवाई गई थी। इस प्रतियोगिता में प्राप्त 45 रचनाकारों की प्रविष्टियों का मूल्यांकन प्रदेश से बाहर के विषय विषेशज्ञों मुंबई के को नवीन चंद्र चतुर्वेदी तथा उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार कनक व नरेंद्र शर्मा सहित 5 जनों से कराया गया था। इस अवसर पर इन्हें भी सम्मानित किया गया।
ब्रजभाषा के 15 रचनाकार पुरस्कृत
शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक डॉक्टर रामदास शर्मा समीक्षक राजाराम भादू एवं पिता पुत्र हरिश्चंद्र हरि और अभिषेक सहित ब्रजभाषा के 15 रचनाकारों को अकादमी संकुल में आयोजित समारोह में पुरस्कृत किया गया। राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी द्वारा गत जून माह में आयोजित ब्रजभाषा रचनाकार प्रतियोगिता के विजेताओं को राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास, राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रमेश बोराणा, अकादमी अध्यक्ष डॉ रामकृष्ण शर्मा सचिव गोपाल गुप्ता ने धन राशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
5 विधाओं में चयनित रचनाकारों में प्रथम को ₹11000 द्वितीय, 7100 और तृतीय विजेता को ₹3100 की राशि दी गई। आलेख विधा में डॉक्टर रामदास शर्मा भरतपुर प्रथम निर्मल कुमार सिंघल द्वितीय अश्वनी गोयल तृतीय (दोनों जयपुर) रहे। समस्या पूर्ति में नगर के अभिषेक प्रथम कमल सिंह कमल द्वितीय कल्याण गुर्जर तृतीय (मनोहरपुरा) रहे। कहानी विधा में जयपुर के जगदीश मोहन रावत प्रथम कोटा के रघुराज सिंह द्वितीय और गंगापुर सिटी के गोपीनाथ ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
संस्मरण विद्या में राजाराम भादू ने प्रथम किशन वीर यादव ने द्वितीय (दोनों जयपुर) और दौसा की अनन्या रावत तृतीय रही। लोकधुन पै आधारित लोकगीत विधा में नगर के हरिशचंद हरी प्रथम शिवराम सिंह द्वितीय एवं सर्वोत्तम त्रिवेदी (दोनों कामा) तृतीय रहे। समारोह में इन सभी विधाओं की प्रविष्टियों के परीक्षक मुंबई निवासी ब्रजभाषा के गजलकार नवीन चन्द्र चर्तुवेदी, अलीगढ़ के नरेंद्र शर्मा एवं फिरोजाबाद के कृष्ण कुमार कनक को भी सम्मानित किया गया।
यह आयोजन व्यास के सानिध्य में आयोजित किया गया था, जिसमें राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रमेश बोराणा, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण शर्मा, सचिव गोपाल लाल गुप्ता तथा उर्दू संस्कृत, बाल साहित्य, ललित कला एवं सिंधी अकादमियों के अध्यक्ष व पदाधिकारी भी मौजूद थे।