IIHMR webinar बड़ी चेतावनी है Corona लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को पहले से सशक्त बनाना समय की जरूरत

स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी उच्च शिक्षा में अग्रणी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ग्लेाबल हब बनी आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर (IIHMR University) में विशेषज्ञों ने अपॉर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी पब्लिक हैल्थ विषय पर चर्चा की। कोरोना (corona) महामारी की वर्तमान स्थिति और बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए इस विषय पर वेबिनार (webinar) का आयोजन किया गया। यूनिवर्सिटी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ (SDG-SPH) का शुभारंभ भी किया।

डॉ.अशोक अग्रवाल, मैनेजमेंट ट्रस्टी और संस्थापक आईआईएचएमआर ने कहा, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र (health service sector) में आने वाले व्यवधान न तो रहस्यपूर्ण हैं और न ही वे रातोंरात हमारे सामने आए हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य कभी जटिल नहीं रहा, क्योंकि नई बीमारियों का उद्भव, उपचार के नए तौर-तरीके, शिक्षित रोगियों और स्वास्थ्य लाभार्थियों के बीच उपभोक्तवाद का उदय होने से इस क्षेत्र में हमेशा हलचल होती रही है। इन्हीं बदलती स्थितियों के बीच आज सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। आज हमें इमर्जेंसी यूज ऑथोराइजेशन (EUA) पर भी ध्यान देना होगा, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थितियों में वैक्सीन सहित अन्य उपचार संबंधी उपायों का इस्तेमाल किया जा सके, जैसा हाल के दौर में कोरोना महामारी से उपजी स्थितियों में हुआ।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, महामारी से पैदा हुए भारी संकट के कारण दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की तरफ बड़े पैमाने पर ध्यान दिया गया है। इस संकट से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में धन का इंतजाम भी किया गया। यह हमारे लिए एक तरह से चेतावनी है कि इस तरह के संकट से दुनिया फिर से प्रभावित हो सकती है। अब समय और फिर। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम इस दिशा में वैश्विक स्तर पर कार्रवाई को अंजाम दें और लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को पहले से और सशक्त बकनाएं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी तरफ विशेषज्ञों को सोचना और विचार करना होगा। उपरोक्त सभी पहलुओं के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने डॉ.एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ का शुभारंभ किया।

डॉ. अक्षय सी धारीवाल, पब्लिक हैल्थ स्पेशलिस्ट (PHS), भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 20वीं सदी और 21वीं सदी के प्रथम दो दशकों में हासिल प्रमुख उपलब्धियों जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि पर चर्चा की। डॉ.धारीवाल ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 20वीं और 21वीं सदी की उपलब्धियों में प्रमुख हैं- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, गैर-संचारी और संचारी रोग और जलवायु परिवर्तन। इन्हीं उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है रोग उन्मूलन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों का दक्ष होना, इसी विशिष्टता के कारण महामारी विज्ञानियों ने रोगों का प्रभावी रूप से उन्मूलन किया और उन पर नियंत्रण किया। पश्चिम अफ्रीका में गिनी वर्म उन्मूलन कार्यक्रम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां सीमित मानव संसाधनों से इस बीमारी का उन्मूलन किया गया था।

सार्वजनिक स्वास्थ्य की दुनिया में मौजूद चुनौतियों की चर्चा करते हुए डॉ.धारीवाल ने कहा, भविष्य में हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के उत्पन्न होने वाली चुनौतियों में बायोटेररिज्म, न्यूक्लियर थ्रेट और केमिकल वारफेयर पर अधिक जोर देना होगा। हमारे पास बेहतरीन नीतियां हैं। स्वच्छ भारत अभियान, पोषण अभियान, फिट इंडिया कैंपेन, डिजिटल इंडिया अभियान, उज्ज्वला योजना जैसे कई अवसर हैं, जहां हम सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लाभान्वित हो सकते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत एनडीएमए और एनआईडीएम सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

डॉ. धारीवाल ने कहा, पब्लिक हैल्थ सर्विलैंस इन इंडिया पर आधारित नीति आयोग-विजन 2035 डॉक्यूमेंट भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी सर्वोच्च प्राथमिकता पर होनी चाहिए। नीति आयोग ने विकासात्मक गतिविधियों के लिए समग्र सूचकांक के आधार पर लगभग 117 जिलों की पहचान की है। स्वास्थ्य मंत्रालय या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबंधित अनेक समस्याएं आज भी अनसुलझी हैं, जैसे कुपोषण की समस्या, डेंगू हैल्थ प्रॉब्लम या जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं। इन समस्याओं को निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया जा सका, हालांकि इस दिशा में एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता थी।

डॉ. वी.के कटोच, एनएएसआई-आईसीएमआर, चेयर ऑन पब्लिक हैल्थ रिसर्च, राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस्, जयपुर ने एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी का एक अनोखा मॉडल है और इसे बनाने का श्रेय गहन सोच-विचार करने वाले लोगों को दिया जाता है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी तकनीकियों के दृष्टिकोण से महामारी से निपटने और अनुभव के साथ हाथों से काम करने के लिए लोगों को उच्चतम क्रम में प्रशिक्षित करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों को समय रहते प्रतिक्रिया करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की संख्या बहुत ही कम है। एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ तभी फर्क करेगा, जब वे सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को स्वाथ्य अर्थशास्त्र, सामाजिक व्यहार, क्लिनिकल अनुवांशिक क्षेत्रों में मजबूत होने के लिए प्रषिक्षित करने में सक्षम हों तथा उन्हे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सक्षम होने देना चाहिए आदि।

एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ न केवल पब्लिक हैल्थ स्पेशलिस्ट को प्रशिक्षित करने के लिए होगा, बल्कि उन लोगों के लिए एक स्कूल होगा जो भविष्य के विचारक सेनापति होंगे। वेबिनार का संचालन डॉ.डी.के. मंगल, प्रोफेसर और डीन रिसर्च, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर ने किया।