pakistan के rawalpindi में एक था कल्याण दास मंदिर

अब बस अवशेष शेष बचे हैं।

साल 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान में बचे हिंदू मंदिरों की दुर्दशा दुनिया से छिपी नहीं है। ऐसा ही एक मंदिर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सटे रावलपिंडी शहर में है। इस कल्याण दास मंदिर को साल 1880 में तब के प्रसिद्ध हिंदू व्यापारी लाला कल्याण दास सूरी ने बनवाया था।

7 एकड़ में फैले मंदिर में 100 कमरे थे। मंदिर की दीवारों पर भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश समेत अन्य हिंदू देवी-देवताओं के रंगीन भित्ति चित्र बने हुए हैं।

ऐसे चित्र अब पाकिस्तान में शेष बचे किसी मंदिर में नहीं हैं।

कल्याण दास मंदिर के लिए ऐसा भी प्रचलित है कि 1946-47 में 200 श्रद्धालुओं को भगवान कृष्ण ने स्वयं दर्शन दिए थे। भगवान ने श्रद्धालुओं को देशपरिवर्तन और बड़े बदलाव का संदेश दिया था।

चंदन की लकड़ी के दरवाजों पर कलात्मक नक्शी है। बंटवारे के बाद 1950 में ट्रस्ट ने मंदिर का रख-रखाव शुरू किया, लेकिन 1973 में पाकिस्तान सरकार ने मंदिर प्रांगण में बदलाव शुरू कर दिए।

मंदिर के अधिकांश भाग को पाकिस्तान सरकार ने स्कूल (मदरसा) में परिवर्तित कर दिया है। 1991 में भारत में बाबरी ढांचा विध्वंस के समय मंदिर को भी क्षति पहुंचाई गई।

बप्पा रावल के नाम पर रावलपिंडी

मालवा के महान योद्धा बप्पा रावल के नाम पर रावलपिंडी नाम पड़ा है। पहले इसका नाम गजनी था। बप्पा रावल ने तीन बार मुगलों को सिंध तक खदेड़ा था। मुगलों को रास्ते में रोकने के लिए बप्पा ने यहां सैन्य छावनी बनाया था।