विदेश सचिव Harsh Vardhan Shringla के दौरे से भारत नेपाल के बीच रिश्तों का दिखने लगा नया आयाम

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली के साथ हर्ष वर्धन श्रृंगला।

आशीष पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

भारतीय विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला (Indian Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) ने हाल में नेपाल (Nepal) की दो दिवसीय यात्रा की। विदेश सचिव की इस यात्रा पर वैश्विक समीक्षा भी शुरू हो गई है। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत (india) का नेपाल के साथ रिश्ता बेहद मजबूत है और भारत द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना चाहता है। हर्ष वर्धन श्रृंगला की नेपाल यात्रा से भारत-नेपाल संबंध को निश्चित रूप से एक नया आयाम मिलेगा। कहा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच बराबरी और परस्पर विश्वास पर आधारित रिश्ते की जो शुरुआत 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, उसमें अब नया अध्याय जुड़ने की उम्मीद दिखने लगी है।

भारत नेपाल संबंधों को और मजबूती देने के लिए ही विदेश सचिव पहली बार नेपाल के दौरे पर हैं। यह दौरा दोनों देशों के बीच नियमित रूप से उच्चस्तरीय संबंधों और सदियों पुरानी परंपरा को गति देने में सहायक होगा। इस यात्रा के दौरान नेपाली गणमान्य लोगों के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर विदेश सचिव व्यापक चर्चा करेंगे, जिससे भारत नेपाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाने में मदद मिलेगी।

नेपाल के दौरे पर गए भारतीय विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला की नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (nepali pm kp Sharma oli) सहित अन्य नेपाली शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात हुई, जो कई मायनों में अहम रही। जिस प्रकार दोनों देशों ने परस्पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करने पर सहमति दी है। इससे विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत शुरू होगी और दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास भी बढ़ेगा।

भारतीय विदेश सचिव ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली से मुलाकात कर कोविड-19 महामारी को रोकने में मदद के लिए भारत की सहायता के तहत एंटी-वायरस दवाई रेमेडिसविर की 2,000 से अधिक शीशियां उन्हें सौंपी। यह इस बात का भी घोतक है कि भारत द्वारा नेपाल हर संभव सहायता मुहैया कराया जाएगा। दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न द्विपक्षीय परियोजनाओं और पहल पर हुई प्रगति की सराहना की गई। भारत नेपाल के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में इस बाचचीत को अगले कदम के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

नेपाल के साथ भारत के गहरे और सदियों पुराने सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। रामायण में इसी बात का स्पष्ट उदाहरण अंकित है। नेपाल के नवनिर्माण के लिए भारत की महत्वपूर्ण भूमिका ने वैश्विक स्तर पर उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। इस भूमिका की शुरुआत 2014 में हुई। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) ने एक के बाद एक नेपाल की 4 यात्राएं कीं। 17 वर्ष बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा नेपाल का यह दौरा नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी को और अधिक मजबूत बनाने वाला साबित हुआ, जिससे नेपाल के साथ भारत के संबंधों में नई गति से नई उर्जा का संचार हुआ। इतना ही नहीं नेपाल के राष्ट्रपति द्वारा अप्रैल 2017 में भारत का दौरान किया गया तो वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री भी 2014 से अब तक सात बार भारत का दौरा कर चुके हैं।

दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच जिस प्रकार बेहतर सामंजस्य का उदाहरण पेश किया जा रहा है। वह अन्य पड़ोसी मुल्कों के लिए नजीर है। दोनों के देशों ईएएम स्तर के शीर्ष नेतृत्व के बीच भी 2014 के बाद से तीन बार चर्चा हुई है। इससे भारत नेपाल के बीच विश्वास को और अधिक मजबूती मिली। इसकी एक बानगी यह भी है कि भारत और नेपाल के बीच 40 द्विपक्षीय तंत्र हैं, जिनके बीच नियमित रूप से संवाद होता रहता है।

भारत द्वारा अपने पड़ोसी धर्म का निर्वाह करने में कभी भी कोई कमी नहीं की गई। यही कारण है कि नेपाल में हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में विकास की परियोजनाएं पूरी हुई हैं, जिनमें काठमांडू में ट्रामा सेंटर, बीरगंज और विराटनगर में एकीकृत चेक पोस्ट, पशुपति धर्मशाला, दो बिजली पारेषण लाइनें, पहली क्रॉस बॉर्डर पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन की योजनाएं मुख्य रूप से हैं।

लगभग 100 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास (HICDP) परियोजनाएं भी भारत के सहयोग व समर्थन से पूरी हुई हैं। भारत ने मानवीय सहायता और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए नेपाल में 1.3 बिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया है। गोरखा में भारत की सहायता से तीन स्कूल तैयार हुए हैं। भारत द्वारा नेपाली सरकार को कोविड-19 से मुकाबले के लिए सहायता सामग्री भी दी गई। वर्ष 2015 में आए भूकंप के केंद्र गोरखा जिले में पचास हजार घरों का निर्माण कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया था जिनमें से चालीस हजार घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। तिब्बत सीमा पर स्थित मनंग जिले में एक बौद्ध मठ का उद्घाटन विदेश सचिव करेंगे, जिसका पुनर्निर्माण भारत की सहायता से किया गया है।

एक बेहतर पड़ोसी होने के नाते भारत ने नेपाल के प्रगति में अहम भूमिका निभाई है। वह चाहे नेपाल में आए भूकंप के बाद के पुनर्निर्माण प्रयास हों या आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत की बहाली के लिए 250 मिलियन यूएस डॉलर के अनुदान को बढ़ाकर 750 मिलियन यूएस डॉलर करना हो। यह सभी प्रयास नेपाल के बेहतरी में काफी अहम साबित हुए हैं। इतना ही नहीं इस आर्थिक सहायता से 46 हजार से अधिक घरों का पुनर्निर्माण हुआ है। नेपाल के 12 जिलों में 70 स्कूलों और 150 स्वास्थ्य सुविधाओं के निर्माण का कार्य चल रहा है। नेपाली समाज के सभी वर्गों तक भारत की सोच और विकासशील विचार धारा ने पहुंच बनाई है। हमनें समग्र रूप से कनेक्टिविटी, ऊर्जा, व्यापार सुविधा, बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण और लोगों को उन्मुख परियोजनाओं से जोड़ने पर विशेष कार्य किया है।

नेपाल के साथ भारत के हमेशा से ही व्यापक और गहरे संबंध रहे हैं। मानचित्र के मुद्दे और कोविड प्रतिबंधों के बावजूद, लगभग सभी क्षेत्रों में हमारी बातचीत जारी है। उदाहरण के तौर पर देखें तो अगस्त में भारतीय राजदूत और नेपाल के पूर्व विदेश सचिव के बीच विकास परियोजनाओं के विशाल पोर्टफोलियो की समीक्षा को लेकर चर्चा हुई। इसी तरह तेल व गैस पर संयुक्त कार्य दल के बीच बातचीत हुई। उसके बाद रेलवे से संबंधित योजनाओं को लेकर संयुक्त कार्यदल द्वारा 20 नवंबर को विचार विमर्श किया गया। अक्टूबर में गंडक नदी के बाढ़ प्रबंधन पर एक संयुक्त बैठक हुई। नवंबर में ICP नेपालगंज के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह आयोजित किया गया। इसी कड़ी में ही पॉवर प्रोजेक्ट पर JWG को जल्द ही बातचीत शुरू होने वाली है। यह प्रयास दोनों देशों के बीच उर्जावान और गहरे रिश्ते को दर्शाने के लिए काफी हैं।

भारत ने कोविड प्रतिबंधों के बावजूद सीमा पर सामानों का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित किया है। भारत द्वारा 15  करोड़ रुपए की कोविड से संबंधित सहायता प्रदान की गई। निश्चित रूप से भारतीय विदेश सचिव का नेपाल दौरा दोनों देशों के आपसी संबंधों को और मजूबती देगा साथ ही वैश्विक स्तर पर भी नया उदाहरण पेश करेगा।

(लेखक के निजी विचार हैं)