Bangladesh ने कुर्सियों पर बैठाकर रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजा काला पानी जैसे टापू पर

बांग्लादेशी नौसेना के जहाज पर सवार रोहिंग्या शरणार्थी।

बांग्लादेश (Bangladesh) ने 1600 रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya refugees) को बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में टापू भाषण चार (Bhasan Char island) पर छोड़ दिया है। बांग्लादेशी अधिकारी इन शरणार्थियों को नौसेना के जहाज में प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठाकर ले गए। अधिकारियों ने कहा, शरणार्थी कैंपों में जरूरत से ज्यादा भीड़ है। ये लोग खुद बाहर जाने के इच्छुक थे। हालांकि, कुछ मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि अधिकांश शरणार्थियों को उनकी इच्छा के विपरीत ले जाया गया।

भाषण चार टापू 20 साल पहले समुद्र में उभर आया था। ये शरणार्थियों के टापू के रूप में भी प्रसिद्ध है। बांग्लादेश ने यहां रहने के लिए बिल्डिंग खड़ी की हैं। साल 2018 में बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों को इस टापू पर छोड़ने का ऐलान किया था। यह भी कहा था कि टापू पर शरणार्थियों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। हालांकि, टापू पर बनी इमारतें पोर्ट ब्लेयर की सर्कुलर जेल की याद दिलाती हैं, जिसे काला पानी की सजा कहा जाता था। 2018 में विरोध के चलते बांग्लादेश ने हाथ पीछे खींच लिए थे। भाषण चार टापू पर तूफान का खतरा मंडराता रहता है। हाई टाईड के कारण टापू के डूबने का खतरा रहता है।

शुक्रवार को जब 1600 शरणार्थियों को जब बांग्लादेशी नौसेना के जहाज पर लाया गया तो कई ने हाथों में छाते ले रखे थे, क्योंकि चिटगांव से भाषण चार टापू का सफर कई घंटे का था। कुछ शरणार्थियों का कहना था कि जब लिस्ट में उन्होंने अपना नाम देखा तो यही सोचा कि राशन वितरण के लिए इसे तैयार किया गया होगा।

कुछ शरणार्थियों ने उन्हें पकड़कर जहाज पर लाने की शिकायत की। वैसे कुछ शरणार्थियों का कहना था कि संभवतः टापू पर उन्हें कुछ शांति मिल सकेगी, क्योंकि कैंपों की हालत बेहद खराब है। गौरतलब है कि बांग्लादेश में म्यांमार से आए करीब दस लाख रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं।