आरसीए मतलब राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन या राजस्थान कांग्रेस एसोसिएशन

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के चुनाव 30 सितम्बर को होने हैं। नामांकन 26 सितम्बर को भरे जाएंगे। आरसीए के मुख्य संरक्षक व कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी की सरपरस्ती में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, जो कांग्रेस टिकट पर जोधपुर से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं, का अध्यक्ष पद पर फिर से काबिज होना तय माना जा रहा है, लेकिन कार्यकारिणी के अन्य पदों के लिए जिन दिग्गज राजनीतिज्ञों के नाम चर्चा में हैं, उससे तो ऐसा लगने लगा है कि चुनाव राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन नहीं, बल्कि राजस्थान कांग्रेस एसोसिएशन के हो रहे हैं।

आरसीए में सचिव पद के लिए जो लोग दावा ठोक रहे हैं, उनमें कांग्रेस नेता और भीलवाड़ा से कांग्रेस टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ चुके रामपाल शर्मा, विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा, करौली के कांग्रेस नेता शिवचरण माली, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निजी सचिव रहे और कांग्रेस से जुड़े भवानी सामोता तथा सवाईमाधोपुर जिला कांग्रेस में पदाधिकारी सुमित गर्ग ने नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं।

क्रिकेट से जुड़े और लम्बे समय से जिला क्रिकेट संघों में काम देख रहे लोगों को राजनीतिज्ञों की आरसीए में एंट्री रास नहीं आती दिख रही। जिला क्रिकेट संघ ऐसे व्यक्ति को सचिव पद पर देखना चाहते हैं, जो क्रिकेट से जुड़ा हो और उनके बीच का हो। उनकी यह सोच इस आधार पर बनी है कि वैभव गहलोत के अध्यक्ष रहते उनसे जिला सचिवों की मुलाकात तक संभव नहीं हो पाती और जब सचिव पद पर भी कोई राजनीतिक व्यक्ति बैठ गया तो उनकी बात कौन सुनेगा?

जिला क्रिकेट संघों में क्रिकेट से जुड़े अधिकांश लोग अब क्रिकेट में जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के चलते चुनाव लड़ने के योग्य नहीं बचे हैं। वर्तमान सचिव महेन्द्र शर्मा, उपाध्यक्ष अमीन पठान, कोषाध्यक्ष कृष्ण नीमावत और संयुक्त सचिव महेन्द्र नाहर अब लोढ़ा कमेटी के नियमों के चलते अगला चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इनके अलावा चूरू के सुशील शर्मा, बूंदी के राजकुमार माथुर, जैसलमेर के विमल शर्मा, दौसा के प्रदीप नागर, टोंक के विवेक व्यास पहले ही नियमों के तहत चुनाव लड़ने की पात्रता खो चुके हैं।

जिला संघों की नजर अब बीकानेर के पूर्व क्रिकेटर रतन सिंह, चित्तौड़गढ़ के शक्ति सिंह राठौड़, अजमेर के राजेश भड़ाना, झालावाड़ के फारुक अहमद, जालौर के सतीश व्यास, बाडमेर के देवाराम और पाली के धर्मवीर पर टिकी हैं। जिला संघ इस बार कुछ मुखर भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में चुनाव में यदि उनकी राय नहीं मानी जाती है तो क्रास वोटिंग का भी खतरा बना रहेगा।