Pm narendra modi की वाराणसी से जीत को Supreme Court में किया था challenge ये मिला जवाब

वाराणसी में रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) के वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi constituency) से निर्वाचन को चुनौती देने वाली पूर्व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान तेज बहादुर (tej bahadur) की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रद्द कर दिया। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए बोबडे (CJI SA Bobde), जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम (Justice V Ramasubramanian) की बैंच ने की।  

तेज बहादुर ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) उसे अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था। तेज बहादुर ने फिर सपा प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा, जो रिटर्निंग अधिकारी ने निरस्त कर दिया था। दरअसल, पर्चे के साथ तेज बहादुर ने इस बात का प्रमाण पत्र नहीं दिया था कि उसे भ्रष्टाचार (corruption) या द्रोह (disloyalty) के कारण तो BSF से बर्खास्त नहीं किया गया। भ्रष्टाचार और द्रोह में संलिप्त व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है।

अपनी याचिका में तेज बहादुर ने पर्चा निरस्त करने को चुनौती दी थी। उसने याचिका में कहा कि पर्चा निरस्त होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आसान जीत मिल गई। याचिका में यह भी कहा कि उसे कथित अनुशासनहीनता के कारण सर्विस से हटाया गया था, न की भ्रष्टाचार या द्रोह के कारण। रिटर्निंग अधिकारी ने प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए 30 अप्रैल को नोटिस दिया और अगले दिन पर्चा निरस्त कर दिया।

प्रधानमंत्री की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Senior Counsel Harish Salve) ने कोर्ट में कहा कि तेज बहादुर ने रिटर्निंग अधिकारी से अतिरिक्त समय नहीं मांगा, जबकि उम्मीदवार प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए दो दिन का समय ले सकता है।

मई 2019 में तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में इस संदर्भ में याचिका लगाई थी, जो रद्द कर दी गई थी। फिर वो इलाहाबाद हाईकोर्ट गया था। वहां से भी उसे राहत नहीं मिली थी। दिसंबर 2019 में याचिका को रद्द कर दिया गया था। मंगलवार को निरस्त हुई याचिका फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी।