क्या खुद के अमर्यादित आचरण पर शर्मिंदा होंगे माननीय

राज्यसभा में वेल में आकर हंगामा करते विपक्षी सांसद। मार्शल से धक्का-मुक्की करते आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह।

लोकतंत्र के मंदिर संसद (राज्यसभा) में जो हुआ, उसे पूरे देश ने टेलीविजन से लेकर मोबाइल स्क्रिन पर देखा। विपक्षी सांसदों का आचरण अमर्यादित था। सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह आसन के सामने मेज पर चढ़े दिख रहे हैं। वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि जब सदन के भीतर मौजूद मार्शल उन्हें वहां से हटाने का प्रयास कर रहे थे, तब संजय सिंह ने एक मार्शन का गला दबाने की कोशिश की। मार्शल को धक्का दिया। तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओब्रायन ने उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के सामने रूल बुक फाड़ दी।

कुछ सांसदों ने उप सभापति के सामने लगे माइक उखाड़ डाले। कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश समेत अन्य सांसद बिल की कॉपी फाड़कर हवा में उछालते दिखे। उप सभापति द्वारा कोरोना महामारी का हवाला देकर सांसदों से बार-बार अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया गया, लेकिन विपक्षी सांसद टस से मस नहीं हुए। वो वेल में जमा रहे। टूटे माइक हाथों में लहराते हुए नारे लगाते रहे।

राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है। यहां के सदस्यों को जनता सीधे चुनाव में नहीं चुनती, बल्कि जनता द्वारा चुने गए विधायकों के वोट से वो उच्च सदन में पहुंचते हैं। शायद यही कारण है कि लोकसभा के मुकाबले राज्यसभा के सदस्यों को कहीं अधिक मर्यादित माना जाता है, पर रविवार की घटना ने उसी मर्यादा का चीरहरण कर दिया। संभवतः भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। सरकार के पेश बिलों का विरोध करना विपक्ष का अधिकार है। वो संसद से सड़क तक ऐसा कर सकती है, पर ऐसा विरोध निंदानीय है।

कृषि संबंधी जो दो बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 रविवार को पारित हुए, इन पर राज्यसभा में बकायदा चर्चा हुई। सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक सभी दलों के सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी। चर्चा के लिए 1 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था। सरकार ने समय बढ़ाने की बात की तो विपक्ष बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजने और चर्चा सोमवार को कराने पर अड़ गया। जब उप सभापति ने विपक्ष की मांग नहीं मानी, तब वो अभद्रता पर उतारू हो गए।

आश्चर्यजनक बात यह है कि विपक्षी दल अपने सांसदों के अमर्यादित आचरण पर खेद जताने के बजाय उन्हें शाबासी दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके कहा कि ये सिर्फ़ आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह नहीं, बल्कि देश के किसान की आवाज़ है, जो आने वाले वक्त में तानाशाही को वाक़ई मुर्दाबाद करके दिखाएगी।

शायद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री भूल गए, 26 मई 2015 को उन्होंने भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता का मार्शलों द्वारा विधानसभा से उठाकर ले जाते हुए फोटो ट्वीट किया था। उन्होंने तब लिखा था कि भाजपा विधायक को विधानसभा से बाहर फेंका गया, क्योंकि उसने अध्यक्ष का यह कहते हुए अपमान किया कि बकवास कर रहे हैं आप। क्या मनीष सिसोदिया बताएंगे कि संजय सिंह ने उप सभापति का कौन सा सम्मान किया?

सदन में हंगामा करने वालों में तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस और द्रमुक के सांसद ज्यादा उग्र थे। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटें जीतकर तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की नींद उड़ा रखी है। भाजपा और कांग्रेस धुरविरोधी हैं। नदी के दो किनारे। कांग्रेस हर उस बात का विरोध करती है, जो नरेंद्र मोदी सरकार करती है। कृषि संबंधी इन बिलों के विरोध का भी यही प्रमुख कारण है, जबकि कांग्रेस तो स्वयं इन कानूनों का लाना चाहती थी।

दोनों कानूनों का वादा कांग्रेस पार्टी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले किसानों से किया था। कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र इसका प्रमाण है। उस समय का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन इन कानूनों की चर्चा कर रहे हैं। माकन के साथ तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी बैठे हुए हैं। पार्टी के नेताओं को सीधा और स्पष्ट जवाब तो देना चाहिए कि तब वो इन कानूनों के पक्ष में थे तो आज विरोध क्यों? बल्कि उन्हें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताना चाहिए कि उनके वादे को उन्होंने पूरा किया।

ये भी सच है कि उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह सदन को संभाल पाने में लाचार दिखे। कुछ ऐसा ही उच्च सदन में सभापति हामिद अंसारी ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान 30 दिसंबर 2011 की आधी रात को किया था। अब विपक्षी दल उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। यही कारण है कि देर शाम केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत छह केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उप सभापति का बचाव किया।

विपक्षी सांसदों के आचरण की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने सरकार के बनाए दोनों कानूनों का भी बचाव किया और किसानों को किसी प्रकार का अन्याय न होने देने का भरोसा दिलाया, लेकिन सदन के अंदर जो हुआ, उसे लेकर लड़ाई अभी थमेगी नहीं। न सरकार पीछे हटने को तैयार है और न विपक्ष। हालांकि, विपक्षी सांसदों को रविवार के घटनाक्रम से सबक तो जरूर लेना चाहिए, ताकि उच्च सदन में ऐसा निंदनीय कृत्य दोबारा न हो। उनका मर्यादापूर्ण आचरण ही सच्चा पश्चाताप होगा।

(विनोद पाठक)