1977 से election जीत रहे थे, corona काल में हारे, जानें 82 साल के प्रत्याशी की दिलचस्प कहानी

अपनी ट्रेड मार्क पीली पगड़ी पहने खड़े रामसहाय कांकरेलीया।

राजस्थान (rajasthan) के जयपुर (jaipur) जिले की जमवारामगढ़ पंचायत समिति में ग्राम पंचायत भानपुर कलां भी आती है। भानपुर कलां में 4949 से अधिक वोटर (voter) हैं। सरपंच रामसहाय कांकरेलीया इस बार भी चुनाव (election) मैदान में उतरे, लेकिन कोरोना (corona) काल में 82 वर्षीय कांकरेलीया की किस्मत दगा दे गई। वो 500 के करीब वोटों से पराजित हो गए।

1977 से वो गांव के लगातार सरपंच चुने जा रहे थे। केवल दो बार जब भानपुर कलां को अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित कर दिया था, कांकरेलीया चुनाव नहीं लड़ सके थे।

कांकरेलीया कहते हैं कि कोरोना महामारी के चलते उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रचार किया। दूरी बनाकर लोगों से मिले। घर-घर जाकर मास्क तक बांटे। लोगों जागरूक किया। इतना ही नहीं, लॉकडाउन में जनता रसोई के जरिए जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई।

मधुर स्वभाव के कांकरेलिया पीली पगड़ी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM ashok gehlot) तक उन्हें पीली पगड़ी वाले बाबा कहते हैं। गरीब किसान परिवार में जन्मे कांकरेलीया अब तक 475 यूनिट ब्लड डोनेट कर चुके हैं। लोग उन्हें रक्तदाता भी कहते हैं। वो गांव में सड़क, बिजली, CHC स्वास्थ केंद्र, बालिकाओं के लिए पृथक सीनियर स्कूल खुलवा चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से 2 करोड़ की पेयजल योजना भी स्वीकृत कराई है।