Indian Army के रिटायर्ड फौजी का करिश्मा आपकी छाती गर्व से चौड़ी कर देगा pension के पैसों से बदल दी धरती की सूरत

ओडिशा (odisha) के जाजपुर जिले के गांव कलाश्री की सूरत पिछले कुछ सालों में बिल्कुल बदल गई है। यह सब संभव हो सका है इंडियन आर्मी (indian army) से रिटायर्ड फौजी खिरोद जेना के प्रयासों से। जेना पिछले 16 सालों से गांव में पौधरोपण (plantation) कर रहे हैं। वे मवेशियों से भी हरियाली को बचा रहे हैं।

54 साल के जेना ने गांव के सार्वजनिक स्थानों पर करीब 20,000 से अधिक फलदार पेड़ लगाए हैं, जिनमें आम, अमरूद, जामुन और कटहल जैसी कई किस्में शामिल हैं। मानूसन के दौरान उन्होंने 600 से अधिक पौधे लगाए। खिरोद जेना को यह प्रेरणा स्थानीय शिक्षक किशोर चंद्र दास से मिली, जो खुद पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।

जेना 1985 में इंडियन आर्मी में शामिल हुए। उस समय गांव में सैकड़ों पेड़ लगे हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगी। सेना से रिटायर होने बाद उन्हें पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करने की प्रेरणा मिली और तभी से वे गांव को हरा-भरा करने की कोशिश करने में जुट गए। पर्यावरण को बचाने की अपनी इस यात्रा की शुरुआत उन्होंने गांव में नदी के किनारे और सड़कों पर पेड़ लगाकर की।

खिरोद जेना के लगाए पेड़।

जेना ने अपनी पेंशन राशि से बीज खरीदकर 20,000 से अधिक पेड़ लगाए। पर्यावरण सरंक्षण के लिए उन्होंने हर महीने करीब 10,000 रुपए खर्च किए हैं। खिरोद जेना का कहना है कि उन्होंने पहले अपने गांव और बाद में आस-पास के गांवों की हरियाली लौटाई है। वे अपनी पेंशन का 80 प्रतिशत इस कार्य के लिए खर्च काते हैं। उनका अंतिम लक्ष्य एक लाख पौधे लगाना है। वर्तमान में वे जाजपुर जिले के कलाश्री गांव में पौधरोपण कर रहे हैं। हर सुबह छह बजे वह अपने पौधरोपण मिशन के लिए निकल जाते हैं।