Kerala High Court ने याचिकाकर्ता से पूछा Prime Minister की फोटो पर शर्म क्यों आती है Petitioner ने ये दिया जवाब

कोविड वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के खिलाफ केरल हाइकोर्ट (Kerala High Court) में याचिका लगाने वाले व्यक्ति को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। यह व्यक्ति सर्टिफिकेट से मोदी की तस्वीर हटाने को लेकर केरल हाईकोर्ट उच्च न्यायालय गया। कोर्ट ने उनसे पूछा कि सिर्फ राजनीतिक मतभेदों के कारण आप इसे चुनौती नहीं दे सकते। जब मामला सुनवाई के लिए आया तो न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन (Justice P.V. Kunhikrishnan) ने कहा कि वह हमारे प्रधानमंत्री (Prime Minister) हैं, किसी अन्य देश के प्रधानमंत्री नहीं।

आप हमारे पीएम पर शर्म क्यों करते हैं? याचिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि 100 करोड़ लोगों को इससे कोई समस्या नहीं है, तो आप क्यों इस बात का विरोध कर रहे हैं सबकी अलग-अलग राजनीतिक राय है। आप कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं। यही नहीं याचिकाकर्ता खुद एक ऐसे संस्थान में काम करता था जो स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टीट्यूट) के नाम पर था। कोर्ट ने कहा कि आप विश्वविद्यालय से इसे भी हटाने के लिए क्यों नहीं कहते?
अन्य देशों ने नहीं लगाई फोटो
याचिका कर्ता का तर्क था कि अन्य देशों द्वारा जारी किए गए टीकाकरण प्रमाणपत्र (Certificate) में उनके संबंधित प्रधानमंत्रियों की तस्वीर नहीं थी। इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि उन्हें अपने प्रधानमंत्री पर गर्व नहीं हो सकता है, लेकिन हमें अपने पर गर्व है। आपको गर्व होना चाहिए कि आपके सर्टिफिकेट पर आपके प्रधानमंत्री की तस्वीर है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया, किसी को गर्व होना चाहिए या नहीं यह एक व्यक्तिगत पसंद है। याचिकाकर्ता के वकील अजीत जॉय ने तर्क दिया कि टीकाकरण प्रमाणपत्र उनका निजी है और इस पर उनके कुछ अधिकार हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए लोगों ने भुगतान किया है ऐसे में प्रधानमंत्री तस्वीर लगाकर उन्हें क्रेडिट देना ठीक नहीं है। उन्होंने कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सार्वजनिक धन का उपयोग करने वाले अभियानों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार भी इसे सही नहीं बताया उनका कहना था कि जब खर्च सार्वजनिक है तो इस पर किसी एक जने को क्रेडिट देकर उसकी फोटो नहीं लगाई जा सकती है।
यह तर्क दिए वकील ने
– टीकाकरण प्रमाण पत्र पर पीएम की तस्वीर का कोई सार्वजनिक उद्देश्य या उपयोगिता नहीं मिलती है।
– प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति का निजी स्थान होता है जिसमें व्यक्तिगत विवरण होता है, न कि सार्वजनिक प्रचार का स्थान।
– ऐसी तस्वीरों का प्रदर्शन मतदाता के दिमाग को प्रभावित कर सकता है।
प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपने टीकाकरण प्रमाण पत्र पर संदेश और तस्वीर के लिए एक कैप्टिव ऑडियंस होता है।