The Jaipur Dialogues वैचारिक महाकुंभ में वक्ताओं ने पूछा अमृत काल से निकला विष कौन पिएगा

जयपुर में शनिवार को दो दिवसीय द जयपुर डायलॉग का वैचारिक महाकुंभ प्रारंभ हुआ। पहले दिन छह सत्रों अमृत काल – क्या उम्मीद करें? क्या सभी धर्म समान हैं?, भारत- भूत, वर्तमान और भविष्य, अनुच्छेद 370- हटने के तीन साल बाद मूल्यांकन, लोकतंत्र या सिर्फ वोटों की खरीद? और प्राचीन भारत- राजवंशों या विज्ञान और कला का इतिहास? में वक्ताओं ने खुलकर विचार रखे। जहां वक्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार को कटघरे में रखा, वहीं पूछा कि अमृत से पहले जो विष निकलेगा, उसे कौन पिएगा?

उद्घाटन सत्र में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि देश अब मानसिक गुलामी के दौर से निकल रहा है। वर्ष 2014 में आया परिवर्तन का दौर निरंतर जारी है। यह पहली बार है, जब बीते 8 वर्ष में पाकिस्तान से कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं की गई है। सोने का हिरण नए-नए रूप में सामने आ रहा है। हमें माया पर चढ़े आवरण को हटाना होगा और अपने अवचेतन से विष को निकालकर अमृत को ग्रहण करना होगा।

क्या सभी धर्म समान हैं? विषय पर सत्र में जेएनयू के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन, जयपुर डायलॉग फोरम के चेयरमैन संजय दीक्षित, भरत गुप्त, अजय चुंग, अंबर जैदी ने चर्चा की। वक्ताओं ने स्वतंत्रता के बाद अपनाई नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संविधान में पंथनिरपेक्ष शब्द है, जिसे धर्मनिरपेक्ष प्रचारित कर दिया गया। बहुसंख्यक हिंदुओं के साथ भेदभाव का मुद्दा भी वक्ताओं ने जोरदार तरीके से उठाया और कहा कि राजनीतिक दल कुर्सी के स्वार्थ में असल मुद्दों से बचते हैं और जनता पर जिम्मेदारी डालते हैं, जबकि व्यवस्था सुधार का दायित्व उनका स्वयं का है। सत्र का संचालन प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने किया।

भारत- भूत, वर्तमान और भविष्य विषय पर ओमेंद्र रत्नू, तुफैल चतुर्वेदी, नीरज अत्री, रघु हरी डालमिया ने मंथन किया। वक्ताओं ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डाला और इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा संस्कृति को नष्ट करने के कई उदाहरण पेश किए। ओमेंद्र रत्नू ने कहा कि भारत में यदि महाराणों ने आक्रांताओं को रोका न होता तो आज पूरी दुनिया इस्लामिक होती। तुफैल चतुर्वेदी, नीरज अत्री ने कहा कि आम हिंदुओं को इस्लामिक पुस्तकों में क्या लिखा है, उसे समझने की जरूरत है। रघु हरी डालमिया ने कहा कि अमृत काल में अमृत अवश्य मिलेगा। सत्र का संचालन अभिषेक तिवारी ने किया।

अनुच्छेद 370- हटने के तीन साल बाद मूल्यांकन सत्र में भाजपा प्रवक्ता गुरु प्रकाश ने जहां सरकार का पक्ष रखा, वहीं अजय चुंग, अंकुर शर्मा और सुशील पंडित ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जिन कदमों की उम्मीद थी, वह सरकार ने नहीं उठाए। जम्मू-कश्मीर में डिलिमिटेशन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए। वक्ताओं ने कश्मीर में पाकिस्तान और चीन के हितों की चर्चा की। साथ ही, आजादी के बाद असंवैधानिक ढंग से 35ए लागू करने पर पूर्ववर्ती सरकारों की कड़ी आलोचना की। सत्र का संचालन संजय दीक्षित ने किया।

लोकतंत्र या सिर्फ वोटों की खरीद सत्र में भाऊ तोरसेकर, विजय सरदाना, जय आहूजा, कपिल मिश्रा ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि दुनिया में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था सबसे मजबूत है, यह सबसे बड़ा भ्रम है। देश के कई इलाकों में डेमोग्राफी बदल रही है और एक वर्ग रणनीतिक रूप से वोटिंग करता है। इस वर्ग का सपना अपने वोटों की संख्या बढ़ाकर लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पर काबिज होने का है। जय आहूजा ने राजस्थान और हरियाणा में फैले मेवात का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे 250 से ज्यादा गांव हिंदूविहिन हो गए हैं। सत्र का संचालन पत्रकार ओंकार चौधरी ने किया।

अंतिम सत्र में प्राचीन भारत- राजवंशों या विज्ञान और कला का इतिहास? विषय पर डा. सीके राजू, मीनाक्षी जैन, अभिजीत छावड़ा, वेदवीर आर्या ने चर्चा की। सभी भारत के समृद्ध इतिहास पर अपना पक्ष रखा। सत्र का संचालन संक्रांत शानू ने किया। रविवार को भी छह सत्रों में स्वतंत्र भारत के इतिहास, बॉलीवुड, वर्ष 2024 में राजनीतिक परिदृश्य जैसे विषयों पर वक्ता चर्चा करेंगे। पहले दिन के कार्यक्रम में जयपुर डायलॉग के अध्यक्ष सुनील कोठारी, सचिव पंकज जोशी, चीफ ऑपरेटिंग अफसर प्रकाश टेकवानी, संयुक्त सचिव राजकुमार शर्मा, प्रबंध समिति के सदस्य जय शर्मा समेत देश-दुनिया के कई प्रबुद्धजन मौजूद रखे।

ओमेंद्र रत्नू