The Jaipur Dialogues इतिहास पर आंसू नहीं बहाएं present को स्वर्णिम काल में बदलें

द जयपुर डायलॉग के दूसरे दिन इतिहासकार विक्रम संपत ने कहा कि देश में विभिन्न तरीकों से हिन्दुत्व का विरोध किया गया है। जो मुगल काल से आजादी के बाद भी जारी रहा। अब नए इतिहास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। फिल्मों में हिन्दुस्तान की बेटी-महिलाओं की नीलामी के दृश्य दिखाकर देश-विदेश में हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया गया। संपत ने कहा कि इतिहास पर आंसू नहीं बहाएं, वर्तमान को स्वर्णिम काल में बदलें।

सभ्यता से जुड़े मुद्दों का विरोध क्यों? विषयक सत्र में स्तंभकार आनंद रंगनाथन, पत्रकार आर.जगन्नाथन, सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु जैन और लंदन में धर्मगुरु पंडित सतीश शर्मा ने विचारों और मंथन को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया। वकील विष्णु जैन ने कहा कि समाज की संस्कृति निरंतर प्रदूषित हो रही है। यौन हिंसा बढ़ रही है। सनातन संस्कृति को मजबूत करने से ही देश फिर विश्व गुरु बनेगा। आनंद रंगनाथन ने जिसका साथ, उसका विकास नारा देते हुए कहा कि भारत में हिंदू 9वें नागरिक हैं। भारत हिंदू राष्ट्र बन गया है, जबकि भारत में हिंदुओं का निरंतर शोषण हो रहा है। सरकार मंदिरों का नियंत्रण कर रही है। पंडित और पूजा के अधिकार बदल दिए गए हैं। यहां तक दान-दक्षिणा भी सरकारी खजाने में जमा हो रही है। हिंदुओं की दुर्दशा का कारण अल्पसंख्यकों का ताकतवर होना नहीं, बल्कि बहुसंख्यकों का लगातार कमजोर होना है।

पंडित सतीश शर्मा ने कहा कि हिंदू विरोधी तंत्र को तोड़ने के लिए अभिमन्यू के बजाय अर्जुन बनना होगा। जब तक हम अभिमन्यु बने रहेंगे तो चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाएंगे और अंतत: विनाश ही होगा। पत्रकार आर. जगन्नाथन ने कहा कि धर्म और आस्था के मामलों में अदालत को निजी राय नहीं देनी चाहिए।

वर्ष 2024 में राजनीतिक परिदृश्य विषयक सत्र में पत्रकार धीरेन्द्र पुंडीर, कुलपति सुनील शर्मा, पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, राजनीतिज्ञ शाजिया इल्मी ने विचारों को धार दी। बॉलीवुड का पतन विषयक सत्र में यूट्यूबर प्रतीक बोराडे, फिल्म निर्देशक प्रवीण चतुर्वेदी, संगीतकार व स्तंभकार भरत गुप्त, लेखक आभास एम ने जोरदार तरीके से विषय की प्रस्तुति दी, जिसे श्रोताओं का खूब समर्थन मिला।

भारतीय स्वतंत्रता का इतिहास विषयक सत्र को लेखक अनुज धर, प्रो. कपिल कुमार, लेखक डॉ. विक्रम संपत, वरिष्ठ मीडिया पेशेवर प्रखर श्रीवास्तव तथा इतिहासकार अभिजीत चावड़ा ने विस्तार से चर्चा करते हुए श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए। देश के बाहर और भीतरी दुश्मनों से लड़ने को क्या हम तैयार हैं? विषयक सत्र में विदेश नीति के जानकार सुशांत सरीन, शिव शास्त्री, अभिजीत अय्यर मित्रा, आरती टीकू, युसुफ ऊंझावाला ने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में जयपुर डायलॉग फोरम के चेयरमैन संजय दीक्षित, संयुक्त सचिव राजकुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष प्रकाश टेकवानी, आयोजन समिति के जय शर्मा और निदेशक विष्णु बिहानी व सुनील शर्मा तथा देशभर से आए गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रणय भारद्वाज ने किया।