British imperial Capital नई दिल्ली में थी Embassies पर विदेशी नहीं देसी जानें इनकी history और वर्तमान स्थिति

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) में हैदराबाद, बड़ौदा, पटियाला, बीकानेर, जयपुर जैसे हाउस के नाम अक्सर सुनते रहते हैं। निश्चित ही आपके मन में जिज्ञासा होती होगी कि ये यहां क्यों हैं और कैसे बने हैं। इन हाउसों के पीछे की कहानी उन्हीं अंग्रेजों से जुड़ी है, जिन्होंने 200 साल भारत पर राज किया। दरअसल, यह हाउस ब्रिटिश राजधानी (British imperial Capital) नई दिल्ली में भारतीय रियासतों के दूतावास थे।

साल 1911 में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से नई दिल्ली लाने का फैसला किया। नई दिल्ली में वायसराय हाउस (वर्तमान का राष्ट्रपति भवन) के आस-पास भारतीय रियासतों को 34 भूखंड आवंटित किए गए। अधिकांश रियासतों ने अपने हाउस का निर्माण 1920 से 1940 के बीच किया। हालांकि, कुछ को बनाया ही नहीं गया और कुछ बनाए गए, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया। अधिकांश को भारत सरकार ने विनियोजित किया और आज उनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

हैदराबाद हाउस

हैदराबाद हाउस का निर्माण 1928 में हुआ, जिसका उपयोग वर्तमान में सरकार के गेस्ट हाउस के रूप में किया जाता है। इसमें विदेशी मेहमानों के दौरे के दौरान भोज और बैठकों का आयोजन होता है। इस इमारत की डिजाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनाई थी। इस इमारत में अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान का निवास था। यह अशोका रोड कनॉट प्लेस पर स्थित है। इसे गांधी और संगम जैसी फिल्मों में दिखाया गया है। करीब नौ एकड़ में फैले इस हाउस में 36 कमरे हैं। आजादी के बाद भारत सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था।

बड़ौदा हाउस    

बड़ौदा हाउस का डिजाइन भी लुटियंस ने तैयार किया। इसे बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ के लिए बनाया गया था। इस महल का डिजायन दिखने में भले ही साधारण सा हो, लेकिन यह सुंदर दिखता है। यह कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित है और फरीदकोट हाउस से कुछ दूरी पर ही है। यह आठ एकड़ में फैला हुआ है और इसका निर्माण 1921 में किया गया था। आज यहां उत्तर रेलवे का कार्यालय है।

पटियाला हाउस

पटियाला हाउस का निर्माण महाराजा भूपिंदर और यदविंद्र सिंह ने करवाया था। इस इमारत को कुछ समय तक डब्ल्यूएचओ के ऑफिस के लिए काम में लिया गया। पहले एशियाई खेलों की ऐतिहासिक बैठक भी इसी हाउस में हुई थी। आज यहां दिल्ली जिला अदालत चलती है। यह इंडिया गेट के पास स्थित है।

जयपुर हाउस

जयपुर हाउस लुटियंस दिल्ली के निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि के बदले जयपुर को दिया गया। इसका निर्माण 1936 में किया गया। इसकी डिजाइन ब्लोमफील्ड ब्रदर्स ने तैयार की। आज यहां नेशनल गैलेरी है।

बीकानेर हाउस

इसे भी चार्ल्स ब्लोमफील्ड द्वारा डिजाइन किया गया। इसे बीकानेर के राजपरिवार के लिए बनाया गया। आजादी से पहले यहां राजघरानों की जरूरी बैठकें हुआ करती थीं। आज यहां राजस्थान टूरिज्म का ऑफिस है। इसका निर्माण 1930 में किया गया।

धौलपुर हाउस

धौलपुर हाउस शाहजहां रोड पर स्थित है। पहले यह धौलपुर राजघराने का निवास हुआ करता था। इसका निर्माण भी नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1920 के दशक में हुआ। महल लगभग एक बीघा जमीन पर बना हुआ है, यहां 50 से ज्यादा कमरे हैं। आज यहां यूपीएससी का कार्यालय है।

कोच्चि हाउस

कोच्चि हाउस कोच्चि के महाराजा का निवास था। जंतर-मंतर रोड पर स्थित यह हाउस दिल्ली के प्रसिद्ध लैंडमार्क में से एक है। इसे कोच्चि स्टेट पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह हाउस दिल्ली के प्रसिद्ध रियल एस्टेट बिल्डर सुजान सिंह ने बनाया था। 1911 में जब नई दिल्ली को तत्कालीन ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया गया, तब सुजान सिंह और उनके बेटे शोभा सिंह सीनियर ठेकेदारों के रूप में नई दिल्ली निर्माण परियोजना का हिस्सा बने। स्वतंत्रता के बाद जब कोच्चि भारत संघ में शामिल हुआ तो यह केरल राज्य सरकार की संपत्ति बन गया।

मंडी हाउस

मंडी हाउस का निर्माण 1940 में मंडी राज्य के राजा जोगिंदर सेन बहादुर ने अपने निवास के रूप में किया। 1970 में इसे बेच दिया गया और दो भागों में विभाजित कर दिया गया। 1990 में इसे ध्वस्त कर दिया गया, क्योंकि यहां बड़े कार्यालय बनाए जाने थे। हिमाचल राज्य का हिमाचल भवन यहां स्थित है, साथ ही नेशनल टेलीविजन दूरदर्शन का मुख्यालय में भी यहीं पर है। यह हाउस भी दिल्ली के प्रसिद्ध लैंडमार्क में से एक है।

अन्य हाउस

दरभंगा हाउस मानसिंह रोड पर स्थित है और आज इसमें गृह मंत्रालय के कार्यालय हैं। फरीदकोट हाउस फरीदकोट के महाराजा का निवास था। कोपरनिकस मार्ग पर स्थित इस हाउस का निर्माण आर्ट डेको शैली में किया गया है। 20 साल से अधिक समय तक चली अदालती लड़ाई में महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ की बेटियों ने इसे वसीयत के रूप में प्राप्त किया था। जींद हाउस, कश्मीर हाउस, त्रावणकोर हाउस, कनिका हाउस आदि हैं, जो अपने आप में कुछ न कुछ इतिहास को समेटे हुए हैं। ये सभी हाउस नई दिल्ली का एक अविभाज्य हिस्सा थे, जो ब्रिटिश साम्राज्य के अंत और भारत के उदय के साक्षी रहे हैं।

(रिपोर्ट : समता शर्मा)