फोटो में क्या है? पहचान में आ रहा है? शायद हां या ना। दिमाग पर हल्का सा जोर लगाएंगे तो समझ में आ जाएगा। इनदिनों इस वस्तु से लगभग रोजाना आपका सामना होता है। जी हां, हैंड फ्री सेनेटाइजर मशीन, लेकिन आपने तो लोहे के फ्रेम में सेनेटाइजर की बोतल लगी देखी है, पर यह तो कुछ और है। सही पहचाना यह बांस से बनाई गई हैंड फ्री सेनेटाइजर मशीन है, जो हावड़ा के AJC Bose Indian Botanic Garden में स्टाफ के लिए लगाई गई है। कोलकाता और हावड़ा रीजन के दूसरे कार्यालयों में भी एक दर्जन के करीब ऐसी मशीनों को भेजा गया है।
जिस बांस से यह मशीन बनी है, वो ऐसा-वैसा बांस नहीं है। इस बांस की अपनी विशेषता है। यह पश्चिम बंगाल, ओडिसा में कुछ माह पहले आए खतरनाक अम्फान तूफान के दौरान टूटे बांस हैं। जब कोरोना महामारी के चलते हैंड फ्री सेनेटाइजर मशीनों की जरूरत पड़ी तो बटैनिक गार्डन के स्टाफ को बांस से मशीन बनाने का आइडिया आया। अब वे रोजाना इन्हीं मशीनों में लगी सेनेटाइजर बोतलों से हाथ साफ रखते हैं।
वैसे तो बांस का प्रयोग हमारे यहां सदियों से जरूरत का सामान, हैंडक्राफ्ट, घर आदि बनाने में हो रहा है, लेकिन स्टील, प्लास्टिक आदि से बने जरूरत के सामान को बांस से रिप्लेस करने की कवायद भी इनदिनों तेजी से हो रही है। त्रिपुरा की एक कंपनी बांस की वाटर बोतल और टिफिन बना रही है, जो न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित है, बल्कि बेहद सुविधाजनक भी हैं। ऐसे ही और भी प्रयोग तेजी से हो रहे हैं।