भारत सरकार की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में 12,91,700 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह देश के कुल बाल विवाह का 11 प्रतिशत है। बाल विवाह के मामले में राजस्थान देश में दूसरे नंबर पर है। राजस्थान जैसे ऐतिहासिक राज्य के लिए यह आंकड़े गंभीर चिंता का विषय हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (KSCF) ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत की। बुधवार को जयपुर में KSCF ने राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और बाल अधिकार विभाग के साथ मिलकर जयपुर में सम्मेलन आयोजित किया। फाउंडेशन के अभियान में जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने राजस्थान की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की और सरकार से अपील की कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए, ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सके। सम्मेलन में बाल विवाह के पूर्ण खात्मे को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ।
आंखें मूंदकर बैठे लोग
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़े भी वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्दीक करते हैं। सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह हुआ है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2019 में 20, वर्ष 2020 में तीन और वर्ष 2021 में 11 मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए। यह दिखाता है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के प्रति लोग आंखें मूंदकर बैठे हैं।
बाल विवाह सामाजिक बुराई – राजीव भारद्वाज
बाल विवाह से बच्चों के खराब होते जीवन पर चिंता व्यक्त करते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजीव भारद्वाज ने कहा, बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्म कर देता है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, हमारा संगठन कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि राजस्थान को बाल विवाह मुक्त किया जा सके।
सख्त से सख्त कदम उठाए सरकार
सम्मेलन में जनता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से बाल विवाह के मामलों में गंभीरता बरतने तथा सख्त से सख्त कदम उठाने की अपील की गई। इस बात पर सहमति जताई गई कि सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल विवाह को रोका जा सकता है। बाल विवाह रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट से जोड़ने पर विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाना है। साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई। इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्साहन देने की भी बात कही गई।
मानसिकता बदलने की जरूरत – नुसरत नकवी
बाल विवाह पर चिंता जाहिर करते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य नुसरत नकवी ने कहा, यदि हम वास्तव में राजस्थान को बाल विवाह मुक्त बनाना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। साथ ही इस मसले से जुड़े सभी पक्षों को एक साथ काम करना होगा और अभिभावकों को समझाना होगा कि बाल विवाह के केवल दुष्परिणाम ही होते हैं। ऐसा करके ही हम बाल विवाह को समाप्त कर सकते हैं।