रेलवे ट्रैक पर सुनाई देगी मधुमक्ख्यिों की आवाज और roaring sound of tigers जानें क्या है यह sound system

रेलवे ट्रैक पर आ जाने से हाथियों की मौत (Elephant deaths) की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। यही नहीं इससे दुर्घटना होने का डर भी बना रहता है। इसी को देखते हुए रेलवे ने केरल के वालयार (Walayar) में हाथियों को डराने के लिए ध्वनि उत्सर्जक प्रणाली (sound-emitting system) स्थापित की है।

सौर ऊर्जा पर काम करेगी नई प्रणाली
रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत हाल ही में बढ़ी थी, जिससे विभिन्न वर्गों में चिंता बढ़ गई थी। रेलवे अधिकारियों ने मंगलवार को नए अलार्म बीकन चालू किए। नई प्रणाली सौर ऊर्जा (solar energy) पर काम करेगी। सिस्टम मधु मक्खियों की भिनभिनाहट और बाघों की गर्जना की आवाज करेगा।

500 मीटर तक सुनाई देगी आवाज
बीकन से निकलने वाली आवाज 500 मीटर तक सुनी जा सकती है। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण के दौरान यह उपकरण हाथियों को रेल की पटरियों पर आने से रोकने में सफल पाया गया। आवाज को सुनने के बाद अगर कोई हाथी रेलवे ट्रैक के आसपास भी होता है तो वह तुरंत वहां से दूर चला जाता है।

एसएमएस के जरिए फीडबैक कमांड
सिस्टम की ट्रिगर यूनिट वालयार रेलवे स्टेशन पर काम करेगी। साउंड जेनरेटर यूनिट ट्रैक के पास एक फील्ड में काम करती है। ट्रिगर यूनिट और साउंड जेनरेटर यूनिट जीएसएम मॉडम के माध्यम से संचार करते हैं। ट्रिगर यूनिट से हर कंट्रोल कमांड के लिए एक एसएमएस भेजा जाता है और साउंड जेनरेटर (sound generator) यूनिट उसी के मुताबिक काम करती है और एसएमएस के जरिए फीडबैक कमांड भेजती है।

हाथियों की मौत में असम सबसे आगे
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, 2009-10 और 2020-21 के बीच पूरे भारत में ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 हाथियों की मौत हो गई। मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, असम में रेलवे ट्रैक (62) पर हाथियों के हताहत होने की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद पश्चिम बंगाल (57) और ओडिशा (27) का स्थान है। उत्तर प्रदेश में एक भी मौत देखी गई।