दादी के पास रखे छेद वाले सिक्के देख मचल उठा था अजय का मन, आज संग्रह में 1600 सिक्के

अपने सिक्कों को निहारते अजय नागर।

कहते हैं शौक बड़ी चीज है, यह बात दौसा के रहने वाले जयपुर निवासी अजय नागर पर सटीक बैठती है। अजय बचपन मे गांव जाया करते थे। अजय जब पांच साल के थे, तब दादी के पास रखे पुराने छेद वाले सिक्कों को देख उनका मन मचल उठा था। बाल्यकाल से सिक्कों से जो प्रेम शुरू हुआ, वो आज भी जारी है। दुनिया में 195 देश हैं और 75 से अधिक देशों के सिक्के उनके कलेक्शन में आ चुके हैं। रियासत कालीन सिक्के हो या ब्रिटिश इंडिया के जारी सिक्के हों या आजाद भारत में जारी सिक्के, अजय के कलेक्शन में सब मिल जाएंगे। भारतीय राजाओं, अलग-अलग रियासतों के चांदी और अन्य धातुओं के सिक्के भी उनके पास मौजूद हैं। सिक्कों के साथ ही प्लास्टिक के नोट और 50 से अधिक देशों के कागज के नोट भी अजय के संग्रह में शामिल हैं। अजय के पास विभिन्न प्रकार के डाक टिकट और प्रथम दिवस आवरण लिफाफे भी संग्रह में शामिल हैं।

अजय बताते हैं कि मैंने क्या तो विदेशी मेहमान, क्या तो गाइड, क्या हाथी के महावत और क्या भिखारी, इन सबसे सिक्के मांगकर अपने संग्रह को बढ़ाना शुरू किया था। कुछ ने सिक्के यूं ही दे दिए तो कुछ ने पैसे भी मांग लिए। मुझे दोस्तों से भी मदद मिली। कई दोस्तों और परिचितों ने विदेशों से मुझे सिक्के लाकर दिए। इस्कान मंदिर से काफी सहयोग मिला। मंदिर के महासिंघा प्रभु (अमेरिकन नागरिक), रामानुज प्रभु (ऑस्ट्रेलियन नागरिक) आदि ने भी मुझे विदेशी सिक्के दिए।

अजय बताते हैं कि सिक्के संग्रहण में बचपन के सहपाठी राहत कुमार, नयन जोशी, गजनीव अरोड़ा इनके साथ ही पत्रकार मित्र भास्कर के श्याम शर्मा, नवयुग के विनोद जोशी, चाणक्य वार्ता के अमित जैन, मणिमाला बहन जी, राधा बहन जी, अशोक शर्मा, ललित शर्मा, विजय कुमार किक्की, विनोद पाठक जी आदि। मॉरीशस के दीपू भाई, पारिवारिक बड़े भाई दीपक जी का भी बड़ा योगदान रहा हैं। दूरदर्शन के पूर्व निदेशक आनंद स्याल जी का भी योगदान रहा हैं। संघ के वरिष्ठ प्रचारक लक्ष्मीनारायण जी भाईसाब, रामप्रताप जी भाईसाब का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा हैं।

अजय कहते हैं कि पिछले कई वर्षों से मैं सरकारी मिंट द्वारा जारी चांदी के स्मारक सिक्कों का भी कलेक्शन कर रहा हूं, जिसमें महाराणा प्रताप का स्मारक सिक्का महत्वपूर्ण है। भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों के चांदी के स्मारक सिक्के मेरे संग्रह में शामिल हैं। आज मेरे पास 1500-1600 के आसपास सिक्के हैं। अपने कलेक्शन में शामिल सोने की गिन्नी को वो सबसे नायाब मानते हैं। परिवार में किसी और को सिक्कों का शौक है, के सवाल पर अजय कहते हैं कि बच्चे कलेक्शन देखना तो पसंद करते हैं, लेकिन मुझ जैसा शौक उनमें नहीं है।

अजय कहते हैं कि सिक्के हमारी महान विरासत को दर्शाते हैं। उनमें हमारी संस्कृति झलकती हैं। युवा पीढ़ी को सिक्कों के माध्यम से ऐतिहासिक विरासत को समझने में मदद मिल सकती है। कई नकारात्मक कार्यों से बेहतर तो सिक्कों का संग्रह करना है। यदि आप सिक्के जमा करते हैं तो एक दिन उन पर आप पुस्तक भी लिख सकते हैं।