देश में घुमंतू की 1500 जाति और उपजाति 15 करोड़ लोग बिना घर के सदियों से घूम रहे इधर से उधर

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रेनके आयोग के अनुसार देशभर में लगभग 1500 जाति और उपजाति में अनुमानतः 15 करोड़ के लगभग घुमंतू (Nomad), अर्द्धघुमंतू और विमुक्त समुदाय के लोग हैं। यह समुदाय स्वयं के लिए घुमंतू नहीं हुआ, अपितु समाज की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए घुमंतू बना।

डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग, राजस्थान विश्वविद्यालय (rajasthan university) और घुमंतू जाति उत्थान न्यास ने संयुक्त रूप से बंजारा : मुख्यधारा की तलाश में घुमंतू समुदाय विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (rss) के वरिष्ठ प्रचारक दुर्गादास ने बंजारा समुदाय के नेपथ्य नायक लक्खी शाह बंजारा और अन्य महापुरुषों के जीवन-दर्शन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि सेवा, त्याग, समर्पण और बलिदान का दूसरा नाम घुमंतू है। बंजारा समुदाय एक व्यापारिक समुदाय है, जिसने न केवल देश अपितु देश के बाहर के अन्य देशों में भी व्यापार किया। दिल्ली में जीटी रोड निर्माण में भी बंजारा समुदाय का योगदान रहा है।

उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. बलवान ने घुमंतू समुदाय के सदस्य के रूप में अपने जीवन अनुभव को बताया। उन्होंने कहा कि आज भी घुमंतू समुदाय अपने अस्तित्व के पहचान की लड़ाई लड़ रहा है। आज भी घुमंतू समुदाय की बहुत बड़ी संख्या ऐसी है, जिनके पास पहचान का कोई भी सरकारी प्रपत्र नहीं है।

घुमंतू समुदाय ने राष्ट्र निर्माण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि घुमंतू समुदाय ने अभाव में भी राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसे में समाज के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अपनी योग्यता, क्षमता से बढ़कर उनके उत्थान का प्रयास करें। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अकादमिक विमर्श के साथ ही प्रत्यक्ष रूप से अभावग्रस्त समुदाय के जीवन में युवा भागीदारी करने की कोशिश करें, जिससे समाज उनके जीवन अनुभव और चुनौतियों से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो सके, तभी समाज मे अपेक्षित बदलाव आएगा।

बंजारा समुदाय कला-संस्कृति के विरल संवाहक

प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजेश व्यास ने बताया कि बंजारा समुदाय कला-संस्कृति के विरल संवाहक है। बहुत से स्तरों पर आज भी आधुनिक गीत संगीत और चित्रकला का बड़ा भाग घुमंतू जातियों की देन है। कला-संस्कृति के रूप में जो अनूठी सौगात उन्होंने हमें दी है, उसे संजोने की जरूरत है। बंजारा समुदाय के कला अवदान को विमर्श में लाए जाने की आवश्यकता है। गुजरात से आए बंजारा समुदाय के विशेषज्ञ केजी बंजारा ने कहा कि वोल्गा से लेकर गंगा तक सबको बंजारा समुदाय ने नमक खिलाया है। बंजारा एक प्रतिष्ठित व्यापारिक समुदाय रहा है।