India यूं ही नहीं रची गई 100 करोड़ vaccination की history कोई स्वास्थ्य कर्मी गर्म रेत पर चला तो किसी ने नाप दिया पहाड़

जैसलमेर की गर्म रेत पर आइस बाक्स लेकर वैक्सीन लगाने जाती अनीता।

रेगिस्तान की तपती धूप में वो रोजाना कई किलोमीटर तक पैदल चली हैं। गर्म रेत पर बैठकर किसी ने अपने बच्चे को दूध पिलाया है तो किसी ने डायबिटीज पेशेंट होते हुए भी लक्ष्य पूरा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रणाम है अनिता और रेनू जैसी उन हजारों एएनएम बहनों को, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ किया है। जैसलमेर (jaisalmer) के हर गांव में जाकर लोगों को वैक्सीन (vaccine) लगाई है।

कोविड- 19 टीकाकरण अभियान के पहले चरण के शुरू होने के दस महीने बाद भारत ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इसका जश्न देशभर में मनाया जा रहा है, लेकिन जिन स्वास्थ्यकर्मियों की वजह से ये मुमकिन हो पाया है, क्या उनके बारे में किसी ने जानने की कोशिश की कि किन परिस्थितयों में वे ऐसे दुर्गम स्थानों तक पहुंचे हैं और लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक किया।

जैसलमेर की रेत पर अपने बच्चे के साथ एएनएम अनिता।

12 घंटे की चुनौतीपूर्ण यात्रा

अरुणाचल प्रदेश के डॉ. रिनचिन नीमा का कहना है कि लोगों का हम तक पहुंचना मुश्किल था। इसलिए हमें उनके पास जाना पड़ा। हालांकि, ये इतना आसान नहीं था। यह सफर मेरे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण यात्राओं में से एक था, जब भारी बारिश के बीच समुद्रतल से 14,000 फीट ऊपर लुंगथान के सुदूर सीमावर्ती गांव में याक चराने वालों के एक समूह को टीका लगाने के लिए मैंने 12 घंटे की लंबी यात्रा की।

कम आयुवर्ग के लोगों को मनाना कठिन था

इश्फाक शब्बीर पिछले दो साल से कश्मीर के बारामूला जिले के बोनियार ब्लॉक में बतौर मुख्य नर्स काम कर रहे हैं। शब्बीर ने बताया कि वह हर दिन आइस बॉक्स उठाता और नियंत्रण रेखा पर गांवों की यात्रा करता। लोगों की टीकाकरण के लिए समझाइश करता। इलाके की कठिनाई को देखते हुए यहां शिविर नहीं लगाए गए। इसलिए टीम ने घर-घर जाकर इस ब्लॉक की 60 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करवाया।

पिछले दो माह से नहीं मिला मानदेय

केरल की सुबैधा शाहुल का कहना है कि पिछले 12 सालों से वह अपना काम ईमानदारी के साथ कर रही है। टीकाकरण में भी सबसे आगे है। इसके बावजूद पिछले दो माह से उनका मानदेय बकाया है। उनके पति भी अस्वस्थ हैं और सुबैधा को भी सांस लेने में तकलीफ है।

(रिपोर्ट : समता शर्मा)