कृषि कानूनों को लेकर किसानों के निशाने पर आए इस उद्योग घराने ने दी सफाई जानें क्या कहा

अदाणी ग्रुप के विज्ञापन में प्रकाशित किसान की फोटो।

तीन कृषि कानूनों (3 farm laws) को लेकर पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और पश्चिमी यूपी के हिस्सों के किसान (farmer) आंदोलनरत हैं। कांग्रेस समेत समस्त विपक्ष ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है। सरकार के अलावा रिलायंस ग्रुप (reliance group) और अदाणी ग्रुप (adani group) किसानों के साथ विपक्ष के निशाने पर है। किसान दोनों ग्रुप्स के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। दोनों ग्रुप्स पर कई आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन अब अदाणी ग्रुप ने पंजाब के एक प्रचलित समाचार पत्र में विज्ञापन देकर अपना पक्ष रखा है।

अदाणी ग्रुप ने साफ-साफ कहा कि हमारा काम केवल अनाज का संरक्षण करना और उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाना है। ग्रुप कभी भी किसी तरह की खाद्यान्न संबंधी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में शामिल नहीं रहा है। ग्रुप की ओर से कहा गया कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों के लिए काम करने वाली कंपनी को निहित स्वार्थ के लिए बदनाम किया जा रहा है।

अदाणी ग्रुप ने किसानों के बीच फैलाए जा रहे भ्रम पर अपना पक्ष रखा है। ग्रुप ने कहा कि एक झूठ फैलाया जा रहा है कि अदाणी किसानों से सीधे अनाज खरीदता है और जमाखोरी को बढ़ावा देता है, जबकि सच यह है कि हम कभी भी किसानों से अनाज नहीं खरीदते हैं। हम केवल अनाज को संरक्षित करने के लिए अपने सेवाएं भारतीय खाद्य निगम (FCI) को देते हैं। ऐसे सेवाएं निगम अन्य कंपनियों से भी लेता है।

अदाणी ग्रुप ने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि अदाणी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसानों का शोषण करता है, जबकि सच यह है कि हम इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करते हैं। हमारा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कोई संबंध नहीं है। बड़े पैमाने पर कृषि संबंधी भूमि का अधिग्रहण करने के आरोप पर अदाणी ग्रुप ने कहा कि हमारा कृषि संबंधी भूमि अधिग्रहण का कोई उद्देश्य नहीं है। जो भी आवश्यक भूमि हमारे द्वारा अधिग्रहित की गई है, वह केवल FCI के गेहूं को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित रखने के लिए अन्न भंडार गृहों के निर्माण के लिए है।

ग्रुप ने कहा कि 2005 में अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स स्थापित हुई थी। कंपनी का एकमात्र उद्देश्य विश्वस्तरीय अन्न भंडार गृहों का निर्माण करना है। भंडार गृहों के अनाज पर सदैव अधिकार भारतीय खाद्य निगम का रहता है। वही इसकी कीमत निर्धारित करता है। हम केवल संरक्षण और रख-रखाव की ही सेवा प्रदान करते हैं।